रतनपुर भैरव बाबा मंदिर में बटुकों का कराया गया उपनयन संस्कार, श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन

बिलासपुर । धर्म नगरी रतनपुर के भैरव बाबा मंदिर परिसर रविवार को वैदिक मंत्रोपचार से गूंज उठा। बँसत पंचमी पर 61 बटुकों का उपनयन संस्कार हुआ। प्रमुख आचार्य पंडित राजेंद्र दुबे और पंडित कान्हा तिवारी ने विधि विधान से सामूहिक निःशुल्क उपनयन संस्कार को संपन्न् कराया।
महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि बटुक भैरव बाबा मंदिर परिसर रतनपुर में विगत 20 सालों से यह आयोजन लगातार जारी है। मंदिर प्रबंधन के द्वारा उपनयन संस्कार संपूर्ण विधि-विधान से किया जाता है। इसमें तेल, हल्दी, मुंडन, ब्रह्मभोज, दीक्षा, हवन, भिक्षा, काशीयात्रा आदि सभी संस्कार संपन्न कराया गया।
ज्ञात हो कि सोलह संस्कारों में उपनयन, वेदारंभ एवं समावर्तन संस्कार का विशेष महत्व है। सामूहिक उपनयन संस्कार में बटुकों को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। सामूहिक उपनयन संस्कार में मंदिर प्रबंधन की ओर सभी बटुकों के लिए उपनयन के लिए आवश्यक सामग्री प्रदान किया गया। उपनयन संस्कार को संपन्न् कराने में दो प्रमुख आचार्यों के साथ पंडित महेश्वर पांडेय, दिलीप दुबे, दीपक विक्की अवस्थी, राम अवस्थी, रवि तंबोली, नैना अवस्थी, राजेंद्र तिवारी समेत अन्य सहयोगी भी शामिल थे।
उपनयन संस्कार में दी जाती है दीक्षा : जागेश्वर अवस्थी
इस संबंध में महंत जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि प्रतिवर्ष यह आयोजन निःशुल्क कराया जाता है। वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है। इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा श्रीकृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था।