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धमतरी का नरहरा जलप्रपात: पर्यटन तो है, सुरक्षा नहीं

बारिश के उफान पर नरहरा जलप्रपात, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम नदारद!

धमतरी। जिले का मशहूर नरहरा जलप्रपात इन दिनों बारिश के चलते अपने पूरे शबाब पर है। हर दिन बड़ी संख्या में सैलानी इस अद्भुत नज़ारे का आनंद लेने पहुंच रहे हैं, लेकिन भीड़ और खतरे के बावजूद न तो जिला प्रशासन और न ही पर्यटन विभाग ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए हैं। बीते वर्षों में यहां अनेक हादसे हो चुके हैं, बावजूद इसके जिम्मेदारों की आंखें अभी भी बंद हैं। क्या नरहरा की खूबसूरती देखने आए सैलानियों की जान इतनी सस्ती है?

घने जंगल में चट्टानों के बीच से गिरता पानी जितना खूबसूरत दिखाई देता है, उतना ही खतरनाक ये जगह है। प्रशासन ने न तो इस मनमोहक जगह को संवारने के ही प्रयास किए और न ही पर्यटकों को इस ओर आकर्षित करने के लिए कोई कदम उठाए गए। शायद यही कारण है कि सैलानी प्रकृति के इस उपहार से कोसों दूर हैं। किवदंति के अनुसार ऋषि मारकंडे की तपोभूमि के तौर पर भी इसे जाना जाता है।

अफसरों के कागजी घोड़े, जमीन पर सुविधा गायब ?

स्थानीय लोग इसे नरहरा धाम के नाम से जानते हैं। मगर कागजी घोड़े दौड़ाने में माहिर अफसरों ने जो प्रयास किये वह नाकाफी हैं, राजधानी रायपुर से सटे धमतरी जिले में नरहरा जलप्रपात को अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने की बजाय सिस्टम में बैठे बेलगाम अफसरों ने क्या पहचान दिलाई इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि यहाँ कोई खास सुविधा नहीं दी गई है। यहाँ तक पहुंचने वाले रास्तों की हालत देख भी जनता आंसू बहाने पर मजबूर है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या नरहरा जलप्रपात के प्रति सरकारी उदासीनता सिर्फ कागजों पर उपलब्धि दिखाने तक सीमित हो जायेगा।

घोड़े बेंचकर सो रहे जनप्रतिनिधी ?

ग्रामीणों के मुताबिक नरहरा जलप्रपात जाने के लिए कुकरेल होते हुए रास्ता तो है लेकिन सड़क गायब हैं, ज्यादातर जगहों पर सड़क जर्जर हो चुकी है और बड़े बड़े गड्ढों को पार कर ही इस जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है, उसके बाद भी स्थानीय नेताओं और चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने भी इसकी देखरेख के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

 

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