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मिड-डे मील में परोसा गया कुत्ते का जूठा खाना, हाईकोर्ट सख्त – शिक्षा सचिव से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा


जिले में मिड-डे मील के तहत बच्चों को कुत्ते द्वारा जूठा किया गया भोजन परोसने की घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। न्यायालय ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही माना है और स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है।

बिलासपुर। पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर मिडिल स्कूल में 28 जुलाई 2025 को मिड-डे मील के दौरान बच्चों को जो खाना दिया गया, वह पहले एक कुत्ते ने जूठा कर दिया था। इस बात की जानकारी छात्रों ने अपने अभिभावकों को दी। इसके बाद स्कूल समिति की बैठक हुई और दबाव में आकर 83 बच्चों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाया गया। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या 78 बताई गई है, जिससे आंकड़ों को लेकर स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है।

कोर्ट की टिप्पणी:
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इस घटना को अत्यंत गंभीर और अमानवीय करार दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को दिया जाने वाला भोजन सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि उनकी गरिमा, सेहत और जीवन सुरक्षा से जुड़ा मामला है। अदालत ने स्कूल शिक्षा सचिव को 19 अगस्त तक जवाब देने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने पूछे ये सवाल:
क्या सभी बच्चों को समय पर रेबीज वैक्सीन दी गई?

दोषी शिक्षकों और स्व सहायता समूह के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

क्या पीड़ित छात्रों को मुआवजा दिया गया?

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए?


कोर्ट कर रही है स्वतः संज्ञान में सुनवाई:
यह मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुना जा रहा है। इससे पहले कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर महिला एवं बाल विकास विभाग और बलौदाबाजार जिला प्रशासन से भी व्यक्तिगत हलफनामा मांगा जा चुका है।

रेबीज का खतरा – केवल लापरवाही नहीं, बच्चों की जान से खिलवाड़:
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि रेबीज एक घातक बीमारी है, जो एक बार संक्रमित होने पर लाइलाज होती है। ऐसे में कुत्ते का जूठा खाना बच्चों को परोसना केवल प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि बच्चों की जान को जानबूझकर खतरे में डालने जैसा गंभीर अपराध है।

19 अगस्त को अगली सुनवाई:
अब स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त 2025 तक हलफनामा प्रस्तुत कर यह स्पष्ट करना होगा कि इस गंभीर घटना पर विभाग और प्रशासन की ओर से अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक छोटी सी घटना पूरे राज्य की योजना और बच्चों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है।

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