ChhattisgarhINDIAछत्तीसगढ़बड़ी ख़बरबिलासपुर

आरक्षक कहते हैं, भैया के रहते डर काहे

बिलासपुर। शहर की गलियों में इन दिनों एक ही नाम गूंज रहा हैभैया! आरक्षक तो हैं ही, लेकिन काम और करिश्मा ऐसा कि बड़ेबड़े अफसर भीमार्काअंदाज में सलामी ठोकते दिख जाते हैं। रेलवे लाइन के इस पार हों या उस पार, भैया का सिस्टम हर दिशा में ऑन ड्यूटी है। पोस्टिंग भले कहीं एक हो, लेकिन प्रभाव पूरे शहर पर फैला हैऐसा कि हर थाना उनकीअनौपचारिक अध्यक्षतामें चलता प्रतीत होता है।

शिकायत हो तो तबादला, तबादला हो तो फायदा। भैया खुद कोमोबाइल समाधान सेवामानते हैंजहां जरूरत, वहां भैया। जैसे कोई मार्का मल्टीटूल होंहर काम में फिट। कभी पब्लिक को भरोसा दिला रहे हैं, तो कभी अधिकारियों को संतोष। कौन कहेगा कि ये सिर्फ आरक्षक हैं? असल में ये हैं विभागीय रिमोट कंट्रोल, जो सिस्टम कोभैया मोडमें ऑपरेट करते हैं।

इनकी ड्यूटी का सबसे मार्का पहलू हैरिश्तों की मैनेजमेंट स्किल। साहब से लेकर सिपाही तक, हर कोई इन्हेंअपना भैयामान चुका है। कहते हैं, रेलवे लाइन के उस पार रहते हुए उन्होंने जोसंबंधों की रेलगाड़ीचलाई थी, उसकी रफ्तार अब भी कम नहीं हुई है। और अब जब इस पार गए हैं, तो यहां भी सिग्नल ग्रीन हो चुका है।

लोग पूछते हैंभैया में ऐसा क्या है? जवाब सरल हैजहां अफसरों की पहुंच खत्म होती है, वहां से भैया की व्यवस्था शुरू होती है। ड्यूटी के साथसाथ अफसरों की सेवा भावना इतनी कि चायकॉफी से लेकर छोटेमोटे फैसले तक, सबमें भैया ब्रांड नजर आता है।

अब ये सबकर्तव्यनिष्ठाहै या मार्का मैनेजमेंट, ये तो विभाग तय करेगा। पर शहर की जनता निश्चिंत हैभैया के रहते डर काहे!

Related Articles

Back to top button