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फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर से उड़ाए करोड़ों! पंचायत सचिव ने किया सनसनीखेज खुलासा,बिना बिल-वाउचर निकाले पैसे, फर्जी चेक से भुगतान! FIR की मांग,

ढेका पंचायत में साढ़े 39 लाख का घोटाला! तत्कालीन सरपंच दिनेश मौर्य और सचिव भानु विश्वकर्मा की जोड़ी पर गंभीर आरोप

बिलासपुर। बिलासपुर जिले के ग्राम पंचायत ढेका से एक चौंकाने वाला वित्तीय घोटाला सामने आया है। यहां के पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य पर पंचायत सचिव सचिन कुमार कौशिक ने करोड़ों रुपए के गबन, फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर और प्रशासनिक दस्तावेजों से छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले ने जिला प्रशासन तक को हिलाकर रख दिया है, और जांच का आदेश दे दिया गया है।

पंचायत सचिव ने बताया सुनियोजित फर्जीवाड़ा, डीएससी हैक कर की गई निकासी… फर्जी फर्मों को बिना बिल भुगतान, बकायदा चेक से निकाले लाखों

बिलासपुर: जनपद पंचायत बिल्हा अंतर्गत ग्राम पंचायत ढेका में भारी वित्तीय गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है। ग्राम पंचायत के सचिव सचिन कुमार कौशिक ने तत्कालीन सरपंच दिनेश मौर्य और उनके करीबी सहयोगी भानु विश्वकर्मा (जो स्वयं भी सचिव हैं) पर संगठित तरीके से 39 लाख 26 हजार रुपए से अधिक की गबन का आरोप लगाया है। सचिव का आरोप है कि यह पूरा घोटाला फर्जी दस्तावेज, डीएससी हैकिंग और बिना सहमति के भुगतान के ज़रिए अंजाम दिया गया।

कैसे रची गई लूट की पूरी स्कीम?

सचिव ने अपनी शिकायत में कहा है कि जनवरी 2022 से पदस्थ होने के बावजूद उन्हें पंचायत के अभिलेख नहीं सौंपे गए। इसके उलट, तत्कालीन सरपंच दिनेश मौर्य ने डीएससी (Digital Signature Certificate) छीन लिया और ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर सचिव का मोबाइल और ईमेल बदलकर अपना नंबर (📞 7828281110) और ईमेल (📧 dineshmourya1808@gmail.com) पंजीकृत करवा दिया।
इस पूरे काम में भानु विश्वकर्मा की सक्रिय भूमिका बताई गई है, जिनके माध्यम से सचिव का डीएससी और कुछ दस्तावेज बाद में लौटाए गए — जिससे संदेह और गहराता है।

किन-किन कामों में फर्जीवाड़ा?

बगैर सचिव की जानकारी और सहमति के पंचायत से कई फर्जी फर्मों को भुगतान किया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश भुगतान बिना बिल, व्हाउचर, फोटोग्राफ या सत्यापन के किए गए।

शामिल प्रमुख फर्में और भुगतान:

  1. शौर्य ट्रेडर्स – ₹1.85 लाख+
    ▪ स्कूल मरम्मत, SLWM, अमृत महोत्सव
  2. विश्वकर्मा ट्रेडर्स – ₹3 लाख+
    ▪ पाइप, सफाई सामग्री, रोड निर्माण
  3. कश्यप ट्रेडर्स – ₹1.92 लाख (बिल पंचायत नाम पर नहीं)
    ▪ सीमेंट, रेत, ईंट, तार
  4. बोलबम इलेक्ट्रॉनिक्स – ₹1.82 लाख
    ▪ सर्विस वायर, मोटर, बोर कार्य
  5. विश्वकर्मा हार्डवेयर – ₹3 लाख के आसपास
    ▪ सीमेंट, पाइप, हैंडपंप, TMT रॉड

डीएससी और फर्जी दस्तावेज़ों से निकाली गई रकम:

15वां वित्त आयोग मद: ₹11,09,902

पंचायत निधि: ₹28,17,001

बिना सहमति फर्जी निकासी (IDBI, Axis Bank): ₹16,17,738

कुल फर्जी भुगतान: ₹39,26,903+

फर्जीवाड़े के अन्य पहलू:

फर्जी हस्ताक्षर कर जनपद और पंचायत मद से भुगतान

बैंक प्रस्तावों में सचिव की मंजूरी और प्रस्ताव रजिस्टर का कोई उल्लेख नहीं

ऑडिट आपत्तियों का कोई जवाब नहीं दिया गया

प्रधानमंत्री आवास योजना और व्यक्तिगत शौचालय योजना में भी संदेह

आदर्श आचार संहिता के दौरान भी कर ली गई फर्जी बैठक और निकासी

मानदेय राशि की रसीदों में भी फर्जी हस्ताक्षर की शिकायतें दर्ज

क्या होगी कार्रवाई?

सचिव सचिन कुमार कौशिक ने पूरे मामले की शिकायत जनपद सीईओ के अलावा जिला पंचायत व एसडीएम को भेजते हुए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि यह फर्जीवाड़ा केवल तत्कालीन सरपंच दिनेश मौर्य ने नहीं, बल्कि सचिव भानु विश्वकर्मा की मिलीभगत से किया गया है।

सचिव का आरोप है कि, विभिन्न मदों और निर्माण कार्यों के भुगतान के लिए पूर्व सरपंच ने चेक में उसका फर्जी हस्ताक्षर बैंक में लगाया है। जिससे लाखों रुपए का भुगतान भी करा लिया। वहीं, कई भुगतान बिना बिल, वाउचर, सत्यापन के बिना ही करा लिया।”

सचिव ने आरोप लगाया है कि, पंचायत में करोड़ों रुपए के कार्यों के नाम पर इस तरह से फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसकी जांच कर दोषी पूर्व सरपंच से रिकवरी करने और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है।”

“पूर्व सरपंच ने कहा- सचिव ही रखता है पंचायत का हिसाब”

इधर, सचिव के आरोपों पर पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य ने कहा कि, पंचायत का पूरा लेखाजोखा सचिव के पास रहता है, उसकी जानकारी के बिना कोई काम नहीं होता। पंचायत में किसी तरह की गड़बड़ी और अनियमितता नहीं हुई है। सभी आरोप गलत है।”

“जांच के बाद होगी कार्रवाई”

“जिला पंचायत CEO संदीप अग्रवाल ने कहा कि, ग्राम पंचायत ढेका में अनियमितता की शिकायत मिली है। मामले में जनपद CEO को जांच करने कहा गया है, जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।”

अब देखना होगा कि पंचायत के इस संगठित घोटाले पर कब और कैसी प्रशासनिक कार्रवाई होती है। क्या दोषियों पर ठोस कदम उठेंगे या फिर ये मामला भी फाइलों में दब जाएगा?
“फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक में लगाया चेक”

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