
छत्तीसगढ़ राज्य के प्रशासनिक एवं विधि इतिहास में एक अभूतपूर्व उदाहरण दर्ज हुआ है। सूरजपुर पुलिस ने राज्य में पहली बार उन पशु मालिकों पर नामजद अपराध पंजीबद्ध किया है, जिन्होंने अपने मवेशियों को लावारिस रूप में सार्वजनिक सड़कों पर छोड़ दिया था।
यह कदम न केवल प्रशासनिक साहस का प्रतीक है, अपितु जनहित में कानून की सख्ती का सटीक उदाहरण भी है। उक्त कार्यवाही से यह स्पष्ट संदेश प्रसारित हुआ है कि कानून की दृष्टि में लापरवाही अथवा उपेक्षा का स्थान नहीं है – चाहे वह किसी भी वर्ग से संबंधित क्यों न हो
जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग पर निरंकुश रूप से विचरण करते मवेशियों की उपस्थिति से यातायात व्यवस्था बाधित हो रही थी और दुर्घटनाओं की आशंका लगातार बनी हुई थी। इन परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सूरजपुर पुलिस ने पाँच पशु पालकों की पहचान कर उनके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत नामजद अपराध पंजीबद्ध किया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संतोष महतो ने जानकारी दी कि यह निर्णय जनसुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पशुपालकगण भविष्य में भी इस प्रकार की लापरवाही बरतते हैं, तो उनके विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस विभाग सभी नागरिकों से आग्रह करता है कि वे अपने मवेशियों की देखरेख के प्रति सजग रहें एवं उन्हें सड़क या सार्वजनिक स्थलों पर खुला न छोड़ें, जिससे अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके और समुचित व्यवस्था बनी रहे।
यह कार्यवाही न केवल सूरजपुर जिले के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में पशु नियंत्रण व्यवस्था को लेकर एक नई दिशा और चेतना का सूत्रपात है। यह पहल अन्य जिलों एवं राज्यों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण बन सकती है।