
क्षेत्र के जिम्मेदारों का नहीं है ध्यान

बेलगहना तहसील के पास बरभाठा व आमामूड़ा मे अवैध रेत उत्खनन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। बेलगहना कोंचरा रोड से बरभाठा करीब 1 किमी अंदर होने के कारण यहां आसानी से पुलिस,राजस्व व खनिज विभाग अधिकारियों का सीधा दखल नहीं हो पाता है। यदि आते भी है तो मार्ग पर जगह-जगह बैठे मजदूर इसकी सूचना उत्खननकर्ताओं तक पहुंचा देते हैं।

बताया जा रहा की बरभाठा अब रेत ट्रेक्टर से वसूली के लिए नया पेंतरा आजमाया गया जिसमें प्रति ट्रेक्टर 100/- की वसूली जय बंजारी माता समिति के नाम पर की जा रही है जिसमें मंदिर जीणोंद्धार के नाम पर सौ रूपये लिया जाना बताया जा रहा जबकि मंदिर के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा शाम को बकायदा युवकों द्वारा दारू मुर्गा पार्टी जरुर की जा रही इन युवकों द्वारा कोई मेहनत अथवा रोजगार का काम नहीं किया जा रहा।

समिति भी पूरी तरह से फर्जी है जिसके रशीद मे कोई पंजीयन क्रमांक नहीं है और न ही कोई सील अथवा प्राप्तकर्ता का नाम कुछ भी नहीं दर्शाया गया है क्या अचार संहिता के दौरान यह समिति गठित हुई या इसकी जानकारी पंचायत को भी नहीं है और है तो अचार संहिता के दौरान बिना किसी बैठक के यह समिति कैसे गठित हुई. और फिर बैठक हुई तो अचार संहिता के दौरान इस प्रकार का बैठक जायज है अधिकारियों की नाक के नीचे से अवैध रूप से रेत निकालकर ले जाने की ग्यारंटी देने वाले यह उत्खननकर्ता किसके शह पर इतनी हिम्मत दिखा रहे हैं।

रविवार को न्यायाधानी न्यूज़ की टीम जब बरभाठा पहुंची तो घाट के पहले ही जगह-जगह रेत के ढेर नजर आए। बिना किसी खौफ के मजदूर ट्रैक्टर में रेत भरने का कार्य कर रहे थे। अरपा नदी के पास पूरे परिसर में यह ढेर लगे थे। परिसर में एक दर्जन से अधिक रेत के ढेर देखने को मिले। जिसका सौदा करने वाले लोग ही वहां बैठे हुए नजर आए। पंचायत से कुछ दूरी पर रेत का यह स्टाक न सरपंच को दिखता है न किसी जनप्रतिनिधियों को।

खदान मंजूर नहीं फिर भी राॅयल्टी के नाम पर जय बंजारी माता समिति के नाम पर 100 रुपए की ग्रामीण युवक कर रहे मनमानी वसूली पैसा नहीं देने पर युवक लड़ाई झगड़ा और देते हैं मारपीट की धमकी। यहां खदान स्वीकृत नहीं है फिर भी रेत उत्खनन किया जा रहा है यह से ट्रैक्टर कोटा लुफा बेलगहना सहित अधिकांशतः गांव व आसपास के ग्रामीणजनों के है।
अधिकारी द्वारा ट्राॅली पकड़ने की बात पर ग्रामीण ने बताया विभिन्न जगह पर इनके लोग बैठे रहते हैं जो अधिकारी के आने की सूचना देते हैं कोई आएगा भी तो ट्रैक्टर को ठिकाने पर लगा दें ते है । उत्खनन का यह पूरा कार्य अरपा नदी घाट व इससे कुछ दूरी पर एक वीरान स्थल पर होता है अधिकारी द्वारा कार्रवाई,के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है जिससे लोगों में आक्रोश है। लोगों ने बताया अवैध उत्खनन में मजदूरी की जान जोखिम में डालकर ठेकेदार लाखों रुपए कमाते हैं लेकिन उनकी मौत होने पर न तो प्रशासन मदद करता है न ही ठेकेदार मदद करते हैं। अवैध उत्खनन में मजदूरों की मौत होने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाना चाहिए।