
छत्तीसगढ़ की सरकारी शिक्षा व्यवस्था इन दिनों घोर लापरवाही, गैर–जवाबदेही और अनुशासनहीनता के गर्त में डूबी हुई है। सुकमा से सरगुजा और बलरामपुर से जांजगीर तक की तस्वीरें बता रही हैं कि किस तरह ‘झंडा गुरुजी’ जैसे शिक्षक सिर्फ 26 जनवरी और 15 अगस्त को स्कूल आकर झंडा फहराते हैं और फिर महीनों तक नदारद रहते हैं। वहीं बलरामपुर के एक स्कूल में तो हद ही पार हो गई — हेडमास्टर शराब के नशे में स्कूल पहुंचा और बच्चे खुद पढ़ाई करते नजर आए!
रायपुर। जांजगीर–चांपा जिले में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है।ताजा मामला अकलतरा ब्लॉक के अमरताल स्कूल में शिक्षकों की लेटलतीफी अब रोज़मर्रा की आदत बन चुकी है, जबकि छात्र समय से स्कूल पहुंच रहे हैं। यह एक सप्ताह में सामने आया तीसरा मामला है, फिर भी DEO और BEO स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
जांजगीर–चांपा। जिले की शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। शासन–प्रशासन की लाख सख्तियों के बावजूद जिले के शिक्षक बेलगाम होते जा रहे हैं, और जिला शिक्षा विभाग मूकदर्शक बना बैठा है। पूर्व माध्यमिक शाला अमरताल (अकलतरा ब्लॉक) में शिक्षकों की मनमानी अब बच्चों के भविष्य को निगलने पर आमादा है।
तय समय पर स्कूल पहुंचते हैं छात्र, नहीं पहुंचते शिक्षक
सुबह 9:45 बजे जब बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं, तो शिक्षकों का इंतज़ार करते हुए उनके चेहरे पर सिर्फ़ मायूसी नजर आती है। वहीं शिक्षक रोजाना 10:00 बजे या उसके बाद स्कूल में प्रवेश करते हैं। नतीजा – प्रार्थना भी लेट होती है और पढ़ाई तो सिर्फ नाममात्र की रह गई है।
तीसरे मामले के बाद भी शिक्षा विभाग ‘बेसुध’
हफ्तेभर में यह जिले का तीसरा बड़ा मामला है, फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) से लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) तक, सभी ने चुप्पी साध रखी है:
• पहलाः (नवागढ़ ब्लॉक) के ग्राम पुटपुरा – स्कूल के बच्चे समय पर पहुंच गए थे , सरकारी प्राथमिक शाला में सुबह 9:45 तक शिक्षक नदारद रहे, स्कूल गेट बंद था, और छोटे–छोटे बच्चे गेट से कूदकर और दीवार फांदकर स्कूल में घुसते दिखे।
• दूसराः मेऊ (पामगढ़ ब्लॉक) – गणित की शिक्षिका स्कूल से 9 सालों से स्कूल से नदारद थे , जिसको लेकर स्कूली छात्र छात्राएं और पालकों ने मिलकर स्कूल के मुख्य गेट पर ताला जड़ कर विरोध किया जिसके बाद मांग पूरी हुई और शिक्षिका की वापसी हुई ,
• तीसराः अमरताल (अकलतरा ब्लॉक) – शिक्षक रोजाना लेट, छात्र समय पर। कोई पूछने वाला नहीं।
DEO से लेकर BEO तक ‘दर्जनों शिकायते’ रद्दी की टोकरी में
ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें कीं, स्कूल प्रबंधन समिति ने पत्र भेजे, पालकों ने BEO ऑफिस के चक्कर काटे — लेकिन नतीजा सिफर। न कोई जांच, न कोई स्पष्टीकरण, न ही किसी शिक्षक पर कार्रवाई।
बच्चों की पढ़ाई से खिलवाड़ — किसे दें दोष?
विभागीय अधिकारियों की लापरवाही अब सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, न्यायिक लापरवाही की श्रेणी में आती है। जब सरकारी शिक्षक अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं, और अधिकारी ‘आँख मूँदें बैठे’ हों — तो शिक्षा की गुणवत्ता की कल्पना ही बेमानी है।
इधर, बलरामपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्र बंदरचुआं के एक सरकारी स्कूल का हेडमास्टर शराब के नशे में धुत होकर स्कूल पहुंचा। हेडमास्टर पंचू राम का खुद महुआ शराब पीने की बात कबूल करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो 3 जुलाई का बताया जा रहा है, जिसमें हेडमास्टर कुर्सी पर नशे में धुत दिखे और स्कूल का स्वीपर उनकी कुर्सी पर सोता मिला। चौंकाने वाली बात यह है कि यह स्कूल एकल शिक्षकीय है और बच्चे खुद से पढ़ाई कर रहे थे। कुसमी बीईओ ने हेडमास्टर को आदतन शराबी बताया है और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए डीईओ बलरामपुर को पत्र लिखा है। शिक्षा के मंदिर में ऐसी लापरवाही बेहद निंदनीय है।
इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि राज्य की सरकारी शिक्षा प्रणाली ‘स्वतंत्रता दिवस–गणतंत्र दिवस’ और वेतन दिवस के बीच ही सिमटकर रह गई है। जब शिक्षक खुद स्कूल आने को तैयार नहीं या नशे में स्कूल पहुंच रहे हों, तो सरकारी घोषणाएं, नीतियां और योजनाएं सिर्फ दिखावा बनकर रह जाती हैं।