INDIAक्राइमघोटालाछत्तीसगढ़बड़ी ख़बरराज्य एवं शहररायपुर

CBI की एंट्री से छत्तीसगढ़ में मचा हड़कंप: 570 करोड़ के कोल लेवी घोटाले की परतें खुलीं, बड़े अफसर-नेता रडार पर

Raipur News | छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोल लेवी घोटाले की जांच अब केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंप दी गई है। राज्य सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत CBI को राज्य में स्वतंत्र जांच की अनुमति प्रदान की है। इस संबंध में गृह विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए हैं, जिनके तहत प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) और रेंज अधिकारियों (IG) को CBI के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।

The Hitavada के वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस सिंह ने X पर पोस्ट किया है 👇👇👇

https://x.com/truth_finder04/status/1944146329644806198?s=46

https://x.com/truth_finder04/status/1944146329644806198?s=46

Raipur News: रायपुर ।छत्तीसगढ़ राज्य में 570 करोड़ रुपये के बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले की जांच अब पूरी तरह से CBI के हाथों में सौंप दी गई है। इस फैसले ने सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को सकते में डाल दिया है।

दरअसल, The Hitavada के वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस सिंह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया। रिपोर्ट में जिन तथ्यों को उजागर किया गया, उसने जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सीधे सवाल खड़े कर दिए।

कोल घोटाले का पूरा खेलकब, कहां, कैसे?

यह घोटाला साल 2020 से 2022 के बीच का है, जब छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन के नाम पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली की जा रही थी।
जांच एजेंसियों के दस्तावेज़ी प्रमाणों के मुताबिक, करीब 570 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी इस वसूली के जरिए इकट्ठा की गई।

ये पैसा सीधे तौर पर कारोबारी नेटवर्क, राजनेताओं और अधिकारियों के गठजोड़ से इकट्ठा होता गया। कुछ जगहों पर बिचौलियों और ट्रांसपोर्ट यूनियनों का भी सीधा दखल पाया गया।

सूर्यकांत तिवारीकेंद्र में एक नाम, जो सिस्टम पर भारी पड़ा

इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है रायपुर का कारोबारी सूर्यकांत तिवारी।
ED
की अब तक की जांच में ये सामने आया है कि तिवारी ने इस घोटाले को एक कॉर्पोरेट ऑपरेशन की तरह संचालित किया, जिसमें अधिकारी, बिचौलिये, नेताओं के निजी सचिव और ट्रांसपोर्ट लॉबी तक शामिल थे।

तिवारी फिलहाल जेल में है, लेकिन उसने सितंबर 2024 में जेल से एक सनसनीखेज आरोप भी लगाया थाकि ACB/EOW प्रमुख अमरेश मिश्रा ने उस पर जेल में जबरन बयान देने का दबाव बनाया।

ED की लड़ाई से CBI तक का सफरक्या है पूरी पृष्ठभूमि?

14 अगस्त 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। उसमें दावा किया गया कि राज्य की ACB और EOW एजेंसियां इस घोटाले की जांच निष्पक्षता से नहीं कर रहीं।

उस समय छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार थी, और घोटाले की कड़ी कुछ नेताओं तक भी जाती दिख रही थी। मामला तूल पकड़ता गया।

अब भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने सत्ता में आते ही यह अहम फैसला लिया और CBI को जांच सौंपने का औपचारिक आदेश जारी कर दिया।

गृह विभाग का आदेश और प्रशासनिक संकेत

राज्य के गृह विभाग ने CBI को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत जांच की अनुमति दी है।
इसके तहत अब CBI पूरे राज्य में स्वतंत्र रूप से छानबीन, छापा और गिरफ्तारी कर सकती है।

PHQ स्तर पर आदेश दिया गया है कि सभी जिलों के SP और रेंज IG इस जांच में CBI का समर्थन और समन्वय करें।

तीन अफसर कोर्ट से बाहर लेकिन निगरानी में

इस घोटाले में अब तक तीन बड़े अधिकारियों को CBI और ED ने गिरफ्तार किया था:
• IAS
समीर विश्नोई
• IAS
रानू साहू
उप सचिव सौम्या चौरसिया

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त ज़मानत दी है, जिसमें यह स्पष्ट निर्देश है कि वे राज्य से बाहर रहेंगे और हर हफ्ते किसी अन्य राज्य के थाने में हाज़िरी देंगे।

राजनीतिक गठजोड़कांग्रेस विधायक और कोषाध्यक्ष रडार पर

ED की दूसरी अनुपूरक चार्जशीट में कांग्रेस के दो विधायकोंदेवेंद्र यादव और चंद्रदेव रायके नाम सामने आए हैं।
चार्जशीट में दावा किया गया है कि कोयला और लौह अयस्क परिवहन से वसूली गई रकम को बेनामी खातों और शेल कंपनियों के जरिए राजनीतिक उपयोग में लगाया गया।

कांग्रेस प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल अब भी फरार हैं। ED ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था, लेकिन 2023 की रेड के बाद से वे सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए।

CBI की आगे की रणनीतिदस्तावेज़ खंगालने से गिरफ्तारी तक

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, CBI की टीम ने घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल शुरू कर दी है।
संभावना जताई जा रही है कि आने वाले हफ्तों में राज्य में एक के बाद एक छापे और गिरफ्तारियां देखने को मिलेंगी।

सरकारी महकमों और सियासी गलियारों में अभी से बेचैनी और बड़बड़ाहट शुरू हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. बोलें

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पूरी कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना करार देते हुए कहा था —

अगर ACB और ED के दबाव में जबरन बयान दिलवाए गए, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह एक सोचीसमझी साजिश है।

Related Articles

Back to top button