छत्तीसगढ़

25 वर्षों में रेशम विभाग की योजनाओं ने बदली ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर

कोसा, टसर, व मलबरी रेशम उत्पादन बनीं ग्रामीण बदलाव की धुरी

ग्रामीण क्षेत्रों में आयवृद्धि, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास की दिशा में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

कोरबा(ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ ) । छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्षों ने जहां राज्य के हर क्षेत्र को प्रगति की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, वहीं रेशम विभाग ने भी निरंतर विकास की रेशमी राह पर चलते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है। टसर और मलबरी रेशम उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के साथ-साथ हितग्राहियों एवं श्रमिकों के जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया गया है।

’’टसर उत्पादन में राष्ट्रीय पहचान’’

रेशम विभाग के सतत प्रयासों से छत्तीसगढ़ ’’टसर उत्पादन में देश में दूसरे स्थान’’ पर आ गया है। जिले के सभी पाँच विकासखंडों के 49 पालित टसर केन्द्रों में टसर उत्पादन की गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। वर्ष 2000 में 1030 हेक्टेयर’’ में टसर उत्पादन होता था, जो वर्ष ’’2025 तक बढ़कर 1199 हेक्टेयर’’ हो गया है। ’टसर ककून उत्पादन में ’’2000 में 67.1 करोड़ नग से बढ़कर 2024-25 में 108.56 करोड़ नग व वर्ष 2025-26 में अब तक ’’49.30 करोड़ नग’ टसर का उत्पादन हुआ है।

’’हितग्राहियों का बढ़ता आधार’’

रेशम योजनाओं से लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में 1756 हितग्राही लाभान्वित हुए थे। वर्ष 2024-25 तक यह संख्या बढ़कर ’’2759’’ तक पहुँच गई, जो ग्रामीण सहभागिता एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

’’मलबरी योजनाः ग्रामीणों को मिली रेशमी राह’’

मलबरी (शहतूत) रेशम उत्पादन में भी विभाग ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषकों को सीधे लाभान्वित किया है। जिले में 7 मलबरी रेशम केन्द्र संचालित है। साल 2025 में 51 एकड़’’ में उत्पादन किया जा रहा है। प्रतिवर्ष उत्पादन अंतर्गत वर्ष 2000 में ’’3126 किग्रा’’, और 2024-25 में ’’5052 किग्रा’’ मलबरी ककून का उत्पादन हुआ। वर्ष 2025-26 में माह सितम्बर 25 तक 1484.00 किग्रा मलबरी ककून उत्पादन हुआ है। मलबरी विकास एवं विस्तार योजना अन्तर्गत हितग्राही एवं श्रमिक के रूप में लाभान्वित वर्ष 2000 में 128, वर्ष 2003 में 66, वर्ष 2018 मे 99, वर्ष 2023 मे 69, वर्ष 2024-25 में 487 हितग्राही/ श्रमिक लाभान्वित हुए है।

स्व-सहायता समूहों को मिल रहा रोजगारः-

रेशम विभाग ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है। विभाग द्वारा टसर/मलबरी/धागाकरण जैसे कार्यो में स्वसहायता समूहों का गठन कर लाभ पहुंचाया जा रहा है। वर्ष 2025 की स्थिति में टसर योजना अन्तर्गत 26 स्व सहायता समूह एवं मलबरी योजना अन्तर्गत 7 स्वसहायता समूह एवं धागाकरण कार्य में 14 स्व सहायता समूह कार्यरत है।

’’निजी भूमि पर शहतूत पौधारोपण का सफल प्रयोग’’

ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग के अन्तर्गत केन्द्र प्रवर्तित योजना के तहत सिल्क समग्र योजना वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 45 एकड़ लघु सीमान्त कृषक (45 कृषक) निजी भूमि पर शहतूती पौधरोपण के लक्ष्य के एवज में 45.00 एकड़ (45 कृषक) के यहा पौधरोपण कार्य पूर्ण कर उन्हें मलबरी ककून उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसी प्रकार 2025-26 मे 14 एकड़ अतिरिक्त क्षेत्र में (14 कृषक की निजी भूमि पर) पौधरोपण कार्य पूर्ण किया गया है।

2025-26 तक कुल 1523 हितग्राही लाभान्वित

रेशम प्रभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं से वर्ष 2025-26 मे 1523 हितग्राहियों एवं श्रमिकों को माह सितम्बर 2025 तक लाभान्वित किया गया है। यह विभाग की योजनाओं के धरातल पर सफल क्रियान्वयन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। रेशम विभाग ने बीते 25 वर्षों में योजनाओं के सफल क्रियान्वयन, हितग्राही जुड़ाव और उत्पादन में नवाचार के माध्यम से जिले को रेशम उत्पादन में नए ऊंचाईयों पर पहुंचाया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आयवृद्धि, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास की दिशा में यह योगदान सराहनीय और प्रेरणादायक है। रेशम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले 25 वर्षों में रेशम योजनाओं के माध्यम से ग्रामीणों को आय का सशक्त साधन मिला है। आने वाले वर्षों में तकनीकी उन्नयन और नवाचार के साथ और भी अधिक हितग्राहियों को जोड़ने की योजना है।

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