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Nag Panchami Katha: आज नाग पंचमी, व्रतधारियों के लिए पावन कथा का पाठ है विशेष फलदायी

बिलासपुर- आज श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व नाग देवताओं की पूजा के लिए जाना जाता है, जिसमें अनन्त, वासुकी, तक्षक, पद्म, महापद्म, कुलीक, कर्कट और शंख – इन आठ नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मंदिरों और घरों में दूध, पुष्प, कुश और अक्षत से नाग देवता का अभिषेक किया जा रहा है।

इस दिन व्रत रखने वालों के लिए नाग पंचमी की व्रत कथा पढ़ना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह कथा न केवल सर्प भय से मुक्ति दिलाती है बल्कि मनोकामना पूर्ति का भी मार्ग खोलती है।

नाग पंचमी व्रत कथा – पौराणिक प्रसंग

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय नागों ने अपनी माता कद्रू की बात नहीं मानी थी। क्रोधित होकर माता ने नागों को श्राप दिया कि वे राजा जनमेजय के नाग यज्ञ में भस्म हो जाएंगे। भयभीत नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे, जहाँ उन्हें बताया गया कि महात्मा जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ही उनकी रक्षा कर सकते हैं।

पंचमी तिथि को जब राजा जनमेजय यज्ञ के माध्यम से नागों को आहुति दे रहे थे, तब आस्तिक मुनि ने उन्हें रोका और नागों पर दूध डालकर उनकी जलन शांत की। तभी से हर साल सावन शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

नाग पंचमी से जुड़ी अन्य मान्यताएं

समुद्र मंथन के दौरान रस्सी के रूप में वासुकि नाग का उपयोग किया गया था। इस कारण नागों को देव कार्यों का सहायक मानकर पूजा की परंपरा बनी।

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन कालिया नाग को पराजित कर वृंदावन के लोगों की रक्षा की थी। इसलिए इस दिन को सर्पों के नियंत्रण और सम्मान का प्रतीक माना गया।

पूजा विधि और लोक परंपरा

नाग पंचमी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, नाग देवता की मूर्ति या चित्र बनाकर उस पर दूध, चावल और फूल अर्पित करती हैं। मिट्टी से नाग की आकृति बनाकर उसका पूजन और दूध अभिषेक करना विशेष फलदायी माना जाता है। यह पर्व कालसर्प दोष से मुक्ति, संतान सुख और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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