छत्तीसगढ़

एक्सिस बैंक में करोड़ों की धोखाधड़ी, पूर्व अधिकारी और उसकी पत्नी गिरफ्तार

डोंगरगढ़ (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। डोंगरगढ़ स्थित एक्सिस बैंक में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने पूर्व बैंक अधिकारी उमेश गोरले और उसकी पत्नी उषा गोरले को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक 43 खाताधारकों से शिकायतें मिल चुकी हैं और करीब ढाई करोड़ रुपये की हेराफेरी की पुष्टि हुई है। हालांकि पुलिस का मानना है कि फ्रॉड की वास्तविक रकम इससे कहीं अधिक हो सकती है।

मां के अकाउंट के जरिए पैसे ट्रांसफर, रायपुर में निवेश की आशंका
पुलिस जांच में सामने आया है कि उमेश गोरले ने यह रकम अपनी मां के खाते के जरिए अन्य अकाउंट्स में ट्रांसफर की और कुछ स्थानीय लोगों की मदद से इन पैसों को रायपुर में इन्वेस्ट किया। मामले में और भी लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है।

फर्जी लोन और ओवरड्राफ्ट से उड़ाई रकम
जानकारी के मुताबिक, उमेश गोरले ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2025 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते हुए खाताधारकों से दस्तावेज और ओटीपी लेकर उनके नाम पर फर्जी लोन और ओवरड्राफ्ट अकाउंट खोले। फिर इन खातों से रकम निकालकर अपनी पत्नी और मां के खातों में ट्रांसफर कर दी। पत्नी उषा गोरले की भूमिका को भी गंभीर मानते हुए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है
पुलिस के अनुसार, अब तक 43 खाताधारकों की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। ये सभी खाताधारक अलग-अलग समय पर किसी न किसी बहाने से ठगे गए हैं। बैंक में काम करने के दौरान उमेश गोरले ने खाताधारकों का भरोसा जीतकर उनके मोबाइल पर आए ओटीपी और दस्तावेज हासिल किए और उन्हें अपनी साजिश का हिस्सा बना लिया।

पुलिस कर रही बड़े रैकेट की जांच
एसपी और साइबर क्राइम टीम इस पूरे फर्जीवाड़े को एक संगठित आर्थिक अपराध के तौर पर देख रही है। शुरुआती जांच में ही 2.5 करोड़ से ज्यादा की रकम की हेराफेरी सामने आ चुकी है, लेकिन राशि का आंकड़ा बढ़ने की पूरी संभावना है। पुलिस अब रायपुर में किए गए निवेश, संपत्ति, और सहयोगियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।

आगे क्या?
पुलिस ने बताया कि डिजिटल ट्रांजैक्शन, बैंक रिकॉर्ड और कॉल डिटेल्स की जांच की जा रही है। उमेश गोरले और उषा गोरले को न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी हो सकती है।

यह मामला न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भरोसे का कैसे दुरुपयोग कर आम लोगों की गाढ़ी कमाई को चूना लगाया जा सकता है। बैंक और प्रशासन को अब इस दिशा में और सतर्कता बरतने की जरूरत है।

 

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