धर्मरतनपुर

श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह के ,भक्तिमय भजन से झूमते रहे भक्तजन

संजय सोनी
रतनपुर–महिला दुर्गोत्सव समिति द्वारा वार्ड क्रमांक दो में  आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक  पँडित योगेश्वरानन्द महराज  ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुनी श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
 

      गौरतलब है कि नगरपालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक दो में भक्तिरस से ओतप्रोत श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ की रसधार बह रही है,भागवत कथा के छठवें दिवस दीपका से पधारे कथा वाचक पँडित योगेश्वरानन्द जी महाराज ने रुकमणी विवाह पर प्रसंग सुनाया उपस्थित  श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए।प्रसंग में आचार्य ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी की अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। उक्त प्रसंग के दौरान भगवताचार्य योगेश्वरानन्द जी ने उपस्थित अपार  भक्तों व श्रद्धालुओं को देर शाम तक श्रीकृष्ण की भक्ति रस से  सरोबार रखा तथा श्रीकृष्ण रुक्मणि विवाह पर भजन गाकर सुनाए,इस अवसर पर वार्ड पार्षद नीतू सिंह क्षत्रिय,सुनीता सोंनी,शिवानी सोंनी, पुष्पा यादव,पावनी यादव,
सहित महिलाओं की उपस्थिति रही,

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