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छत्तीसगढ़ का ‘अजमेर’ फिर सजेगा नूरानी रंग में – 95वां उर्स-ए-पाक हज़रत सैय्यद मूसा शहीद रह.अ. 31 मई को, कव्वाली में गूंजेगा सूफियाना रंग

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक नगर रतनपुर एक बार फिर नूरी चादरों, अकीदतमंदों की भीड़ और सूफियाना कव्वालियों से रोशन होने वाला है। जी हां, जूना शहर स्थित प्रसिद्ध मजार हज़रत सैय्यद मूसा शहीद रहमतुल्लाह अलैह में 95वां सालाना उर्स-ए-पाक पूरे जश्नो शान के साथ 31 मई, शनिवार रात 9 बजे से मनाया जाएगा।

जहां एक ओर धार्मिक आस्था की चादरें फैलाई जाएंगी, वहीं दूसरी ओर चटख रंगों में रंगी कव्वाली महफिलें लोगों के दिलों को सूफी सुरों से सराबोर कर देंगी।

बॉम्बे से आएंगे इंटरनेशनल कव्वालछोटे मजीद शोला


हर साल की तरह इस बार भी उर्स में कव्वाली की महफिल सजेगी और इस महफिल में रंग भरने के लिए इंटरनेशनल कव्वाल छोटे मजीद शोला, मुंबई से पधारेंगे। इनके सुरों में ऐसी कशिश होती है कि हर कोई खुदखुद झूमने को मजबूर हो जाता है।

सियासी रंग भी होगा गाढ़ादिग्गज नेता रहेंगे मौजूद


इस साल के उर्स में राजनीतिक हस्तियों की भी चकाचौंध रहेगी। मुख्य अतिथि होंगे छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री लखनलाल देवांगन, और अध्यक्षता करेंगे कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव।
इसके साथ ही कार्यक्रम में डॉ. सलीम राज (कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त), शकील अहमद (भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष), आरिफ खान (प्रभारी, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा), विजय केसरवानी (कांग्रेस जिलाध्यक्ष), पूर्व विधायक शैलेश पांडे, और कई अन्य दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।

स्थानीय नेतृत्व भी रहेगा सक्रिय


नगर पालिका अध्यक्ष लवकुश कश्यप, वरिष्ठ नेता अनिल टाह, दुर्गा कश्यप (भाजपा मंडल अध्यक्ष), त्रिलोक श्रीवास, हीरा सिंह मरावी (वार्ड पार्षद), सुभाष अग्रवाल (विधायक प्रतिनिधि) जैसे नाम भी मेहमानों की सूची में शामिल हैं।

आयोजन में जुटी इंतेज़ामिया कमेटी और मुस्लिम जमात


पूरे आयोजन की तैयारियों की कमान संभाली हैवादिर खान (अध्यक्ष), हकीम मोहम्मद (कार्यकारी अध्यक्ष), जिलानी बेग (उपाध्यक्ष), हुसैन खान (सचिव), और शेख दाऊद मोहम्मद (कोषाध्यक्ष) के नेतृत्व वाली इंतेज़ामिया कमेटी ने। मुस्लिम जमात रतनपुर भी आयोजन को सफल बनाने में दिनरात जुटी हुई है।

लंगर, चादरपोशी और मान्यताओं की रोशनी
उर्स की रात में जायरीनों के लिए लंगर की विशेष व्यवस्था रहेगी। चादरपोशी, जियारत और दुआओं के सिलसिले के बीच यहां एक अजीब सी रूहानी शांति महसूस होती है। मान्यता है कि मूसा शाह बाबा की दरगाह पर मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं।

रतनपुर – मंदिरों का शहर, मगर सूफियाना रूह का भी घर

जहां एक ओर रतनपुर को मंदिरों का शहर कहा जाता है, वहीं हज़रत मूसा शहीद की मजार इस शहर की गंगाजमुनी तहज़ीब की सबसे बड़ी मिसाल है। यही वजह है कि इसेछत्तीसगढ़ का अजमेरभी कहा जाता है।

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