कोरबा

अनाचार के आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

कोरबा (खटपट न्यूज)। अकेला पाकर युवती से जबरन संबंध बनाने और फिर शादी करने का झूठा वादा कर उसे धोखे में रखने के लिए तिलक से मांग भरने और फिर धमकी देकर छोड़ देने वाले बिलासपुर निवासी आरोपी को न्यायालय ने दोषसिद्ध पाया है। उसे 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।

न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार थाना सिटी कोतवाली में पीडि़ता के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि आरोपी धरमपाल सिंह उर्फ विकास सिंह निवासी सिरगिट्टी बिलासपुर के द्वारा उसे घर में अकेली पाकर जबरदस्ती शारीरिक संबंध स्थापित किया गया। इसके बाद शादी करने का झूठा वादा कर धोखे में रखने के लिए उसने अपने माथे में लगे तिलक से उसकी मांग भर दिया। उसके बाद आरोपी ने पीडि़ता को तुम मेरी पत्नी हो कहकर अक्टूबर 2018 से 8 दिसंबर 2022 तक शारीरिक संबंध स्थापित करते रहा। इस बीच आरोपी ने पीडि़ता को यह भी धमकी दिया था कि यदि वह संबंधों के बारे में जानकारी किसी को भी दी तो उसे तथा उसके माता-पिता को जान से मार देगा। पीडि़ता ने भय के कारण घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। दूसरी तरफ आरोपी पीडि़ता से शादीशुदा होकर भी यह बात छुपाकर अन्य युवती से शादी करना चाहता था। आरोपी ने यह भी धमकी दिया था कि यदि पीडि़ता उससे शादी नहीं करेगी तो वह पीडि़ता की शादी किसी से भी नहीं होने देगा। इस तरह झांसे में रखते हुए व धमका कर साथ रखे आरोपी ने पीडि़ता को अपने साथ बिलासपुर ले जाकर वहां भी संबंध बनाया और 8 दिसंबर 2022 को पीडि़ता को छोड़ दिया। पीडि़ता द्वारा थाना कोतवाली में आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया गया। कोतवाली पुलिस ने आरोपी धरमपाल सिंह उर्फ विकास सिंह के विरुद्ध धारा 376, 506 भादवि के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना करते हुए धरम सिंह को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। प्रकरण का विचारण अपर सत्र न्यायालय (फास्ट ट्रैक) में किया गया। पीडि़ता एवं अभियोजन साक्षियों के साक्ष्य से प्रकट हुए तथ्यों एवं सबूतों के आधार पर आरोपी के विरुद्ध बलात्कार का अपराध संदेह से परे प्रमाणित और दोषसिद्ध पाए जाने पर न्यायाधीश श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने आरोपी धरमपाल सिंह उर्फ विकास सिंह को धारा 376 (2) (एन) भादवि के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस मामले में अतिरिक्त लोक अभियोजक रामकुमार मौर्य के द्वारा मजबूत पैरवी की गई।

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