कोरबा छत्तीसगढ़

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि कानून का उल्लघंन हो : कटकवार


डिंगापुर में विधिक जागरुकता शिविर आयोजित


कोरबा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा विद्यालय, महाविद्यालयों में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन की कड़ी में शासकीय प्रयास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डिंगापुर में शिविर का आयोजन किया गया।
डीएल कटकवार, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मागदर्शन में आयोजित शिविर में विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो एक्ट  विक्रम प्रताप चन्द्रा ने उपस्थित छात्रों को बताया गया कि प्राय: कानून के नाम सुनते हैं और उसका अर्थ अपराध से लगाते हैं। विधि के विपरीत कार्य करना अपराध होता है, चाहे वह जाने-अनजाने में क्यों न हो। उनके द्वारा छात्राओं को गुड टच एवं बैड टच की जानकारी देते हुये कहा गया कि यदि उनके साथ किसी भी तरह का गलत व्यवहार होता है तो इसकी शिकायत अपने शिक्षक एवं माता-पिता से करें। अपराध को किसी भी तरह का बढ़ावा न दें। पीडि़त यदि अपराधी की शिकायत न करें तो अपराधी को बल मिलेगा और आगे वह गंभीर अपराध करेगा। बालकों के लैंगिंक अपराधों के संरक्षण पर कहा कि जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है, वे बालकों की श्रेणी में आते हंै। पीडि़त बालकों के प्रकरण विशेष न्यायालय में सुने जाते है। संविधान की आर्टिकल-19 के संबंध में सवाल पर बताया गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि कानून का उल्लंघन हो। 
विर में कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम पर बताया कि लायसेंस, वाहन के बीमा, वाहन का आरसी बुक के साथ ही वाहन का संचालन किया जावें। ये तीनों यदि किसी व्यक्ति के पास नहीं है तो होने वाले दुर्घटना में उनको स्वयं ही अगले पीडि़त व्यक्ति को मुआवजा देना पड़ता है। गंभीर चोट या मृत्यु होने पर और भी अधिक क्षतिपूर्ति देना वाहन मालिक की जवाबदेही हो जाती है। बच्चों को मोबाईल का सीमित उपयोग किये जाने की सलाह देते हुये कहा कि स्मार्ट मोबाईल का सदुपयोग किया जाए। बिना पढ़े कोई भी मैसेज फारवर्ड न करें, गलत मैसेज फारवर्ड करने पर साइबर कानून के तहत् अपराधिक मामला पंजीबद्ध किया जा सकता है। छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क विधिक सेवा प्राधिकरण योजनाओं पर बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसकी आय 1.50 लाख रूपये से कम है, ऐसे व्यक्ति को जिसके प्रकरण में अधिवक्ता नियुक्त नहीं है उसके प्रकरण में प्रशिक्षित पैनल लायर को शासकीय खर्चे पर पैरवी करने के लिये दिया जाता है ताकि व्यक्ति न्याय से वंचित न हो सके। 

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