छत्तीसगढ़

तसर रेशम के विपणन को मिली नई दिशा

’मेरा रेशम मेरा अभिमान’ अभियान के तहत कोरबा में जागरूकता कार्यक्रम सह क्रेता-विक्रेता मिलन संपन्न

 

कोरबा । रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, केंद्रीय रेशम बोर्ड, बिलासपुर द्वारा आज “मेरा रेशम मेरा अभिमान“ अभियान के अंतर्गत डिंगापुर, कोरबा में एक विशाल जागरूकता कार्यक्रम सह क्रेता-विक्रेता मिलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम ने तसर रेशम उद्योग से जुड़े हितधारकों को एक साझा मंच प्रदान किया।

 

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं झारखंड राज्यों से आए 13  से अधिक तसर व्यापारियों सहित कुल 130 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य तसर रेशम क्षेत्र में विपणन से जुड़ी समस्याओं पर गहन चर्चा कर उनके समाधान हेतु ठोस रणनीतियाँ तैयार करना था। साथ ही, राज्य रेशम विभाग एवं रेशम तकनीकी सेवा केंद्र द्वारा विकसित ऑनलाइन विपणन प्लेटफॉर्म के बारे में भी प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की गई।

 

इसका लक्ष्य एकल एवं स्व-सहायता समूहों के रीलर, स्पिनर और बुनकर और व्यापारियों के बीच सीधा संबंध स्थापित करना, मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत करना, राज्य में निर्मित तरह-तरह के धागों को अधिक से अधिक क्रेताओं तक पहुंचाना एवं भविष्य में व्यापार के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध करवाना रहा।

कार्यक्रम के पहले सत्र में  अशोक कुमार, वैज्ञानिक-बी, रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, बिलासपुर द्वारा मुख्य अतिथि डॉ. राजेश बघेल, अपर संचालक, ग्रामोद्योग विभाग (रेशम प्रभाग), छत्तीसगढ़ शासन, एवं  बालभद्र सिंह भंडारी, जिला रेशम अधिकारी, कोरबा का स्वागत किया गया।

अशोक कुमार ने बताया कि कोरबा जिले में किए गए 8 कार्यक्रमों के दौरान यह पाया गया कि तसर रेशम धागे की मार्केटिंग एक मुख्य समस्या है, जिससे अधिकतर धागा उत्पादक प्रभावित हैं।

 

इस समस्या के समाधान के लिए ही केंद्रीय रेशम बोर्ड-रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, बिलासपुर द्वारा इस जागरूकता एवं क्रेता-विक्रेता मिलन का आयोजन किया गया है। उन्होंने व्यापार में सुगमता के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप की भी जानकारी दी।

डॉ. राजेश बघेल, अपर संचालक ने प्रतिभागियों को कोसे एवं धागे की उपलब्धता एवं बिक्री के लिए राज्य रेशम विभाग द्वारा बनाए गए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की जानकारी दी, जिसकी।  बालभद्र सिंह भंडारी, जिला रेशम अधिकारी, कोरबा ने सभी प्रतिभागियों को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

इस दौरान व्यापारियों, स्व-सहायता समूह के अध्यक्षों, वैज्ञानिकों, एवं प्रतिनिधियों के साथ तसर रेशम धागे की गुणवत्ता, किस्म, मूल्य एवं मांग को लेकर विस्तृत पैनल चर्चा भी की गई।

दूसरे सत्र में आयोजित क्रेता-विक्रेता मिलन के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों से आई महिला स्व-सहायता समूहों एवं एकल विक्रेताओं द्वारा तसर रेशम धागा एवं कपड़ों की बिक्री की गई। यह सत्र अत्यंत सफल रहा, जिसमें लगभग 2.75 लाख रूपये का व्यापार हुआ, जिसमें मुख्य रूप से तसर रेशम का स्पन धागा शामिल है।

कार्यक्रम के अंत में, प्रतिभागियों ने ऐसे आयोजनों की निरंतरता की मांग की ताकि तसर रेशम उद्योग से जुड़े कारीगरों, स्व-सहायता समूहों और व्यापारियों को एक साझा मंच पर आने का अवसर मिले तथा उनके उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।

“मेरा रेशम मेरा अभिमान“ अभियान के अंतर्गत आयोजित यह कार्यक्रम न केवल तसर रेशम के क्षेत्र में कार्यरत हितग्राहियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच सिद्ध हुआ, बल्कि इससे तसर रेशम के विपणन को नए आयाम देने की दिशा में ठोस कदम उठाने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।

ऐसे आयोजन ग्रामीण उत्पादकों, महिला स्व-सहायता समूहों और व्यापारियों के बीच मजबूत नेटवर्क स्थापित करने में सहायक होंगे, जिससे तसर रेशम उद्योग को नई ऊर्जा और पहचान मिलेगी।

 

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