छत्तीसगढ़

स्थानीय रूप से उपलब्ध बांस और सवई घांस से बनेंगे आकर्षक उत्पाद, महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण

जशपुरनगर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। जशपुर वनमण्डल अन्तर्गत कांसाबेल परिक्षेत्र की संयुक्त वन प्रबंधन समितियों में 04 सितंबर से महिलाओं को स्थानीय रूप से उपलब्ध बांस और सवई घांस से आकर्षक आभूषण, सजावटी वस्तुएं और अन्य कलात्मक उत्पाद बनाने की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। इस पहल से  महिलाएं आत्मनिर्भरता को प्राप्त करेंगी और आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगी।

असम की प्रसिद्ध बांस कला विशेषज्ञ नीरा शर्मा, जिन्हें बैम्बू लेडी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है, विशेष प्रशिक्षण शिविर का संचालन कर रही हैं। आगामी 15 दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में स्थानीय रूप से उपलब्ध बांस और सवई घांस को ही आधारभूत सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। पहले जिन संसाधनों का उपयोग सीमित रूप से होता था, अब वही साधन महिलाओं के लिए आय के नए अवसर लेकर आया है। इससे बनने वाले आकर्षक आभूषण, सजावटी वस्तुएं और अन्य कलात्मक उत्पाद उपयोगी होने के साथ ही घर एवं अन्य प्रतिष्ठानों की शोभा भी बढ़ाएगी।

समिति की लगभग 30 महिला सदस्य इस प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। प्रशिक्षण के शुरुआती दिनों में ही उनमें सीखने को लेकर नया उत्साह दिखाई दे रहा है। इन महिलाओं का कहना है इससे उनमें एक नया आत्मविश्वास जगा है, अब वे भी अतिरिक्त आय अर्जित कर घर-परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकती हैं।

प्रशिक्षण शिविर में परिक्षेत्राधिकारी, वन अमला और समिति के सदस्य लगातार सहयोग और मार्गदर्शन दे रहे हैं। वन विभाग का मानना है कि इस तरह की पहल से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और स्थानीय वन उत्पादों का वाणिज्यिक उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

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