रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने राजधानी रायपुर में रविवार को सभी आनुषांगिक संगठनों और प्रांतीय पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की। भागवत ने पदाधिकारियों से कहा कि संघ की शाखाओं की संख्या बढ़ाओ, आदिवासियों और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र में लोगों के उत्थान के लिए काम करो। शहरी क्षेत्र की गरीब बस्तियों में लोगों के उत्थान के लिए जागरूक करो और सरकार की गरीब हितैषी नीतियों के पक्ष में जमकर काम करें। वहीं, प्रदेश में सत्ता की चौथी पारी की तैयारी में जुटी भाजपा और सरकार के कामकाज की भी भागवत ने समीक्षा की।

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि भागवत ने लगभग छह घंटे तक मैराथन चर्चा की, जिसमें आदिवासी क्षेत्रों में सरकार के कामकाज से संतुष्टि तो जताई, लेकिन चुनाव में जीत की डगर को बहुत आसान नहीं माना है। संघ के पदाधिकारियों ने भागवत को बताया कि चौथी पारी के लिए सरकार को कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा। संगठन को निचले स्तर, अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर जोर दिया।

पदाधिकारियों ने बताया कि संघ ने सरकार के कामकाज की रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया है। अब संघ के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भाजपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल कैसे बनाया जाए। इसको लेकर भागवत ने सभी आनुषांगिक संगठनों को ठोस प्लान सौंपा है।

सूत्रों की मानें तो भागवत ने वनवासी कल्याण आश्रम और आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे आनुषांगिक संगठनों को संघ के अंत्योदय के एजेंडे पर काम करने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रदेश के दुरस्थ अंचलों में काम कर रहे स्वयंसेवकों को और सक्रियता के साथ अपनी जिम्मेदारी निर्वहन का निर्देश दिया है। साथ ही शारीरिक, बौद्धिक, सेवा, संपर्क, प्रचार, समरसता, गौ-सेवा, कुटुंब प्रबोधन में किए गए कार्यों की जानकारी ली।

संघ प्रमुख की शरण में होगी सरकार

भागवत की सोमवार को साइंस कालेज मैदान में होने वाली सभा में सत्ता और संगठन के दिग्गज मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आस्ट्रेलिया दौरे के कारण मंत्रियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि वे सभा में मौजूद रहें। बताया जा रहा है कि आदिवासी क्षेत्र के मंत्री केदार कश्यप, महेश गागड़ा, रामसेवक पैकरा और भइयालाल राजवाड़े को विशेष तौर पर मौजूद रहने का निर्देश है।

आदिवासियों की जमीन बिल को वापस लेने की सराहना

बताया जा रहा है कि भागवत को संघ के पदाधिकारियों ने आदिवासियों की आपसी सहमति से जमीन लेने के मामले की जानकारी दी। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सक्रिय पदाधिकारियों ने बताया कि इसका स्थानीय स्तर पर भारी विरोध था। सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया है। इस पर भागवत ने सरकार के कदम की सराहना की और पदाधिकारियों से साफ कहा कि स्थानीय लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाएं और उनके हितों को सुनिश्चित करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *