दोस्त और प्रोग्रेसिव रिसर्च की टीम ने लगाया कैम्प
कोरबा। डॉक्टर्स ऑन स्ट्रीट (दोस्त) और प्रोग्रेसिव रिसर्च की टीम ने डॉ. सत्यजीत साहू के नेतृत्व में विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा और बिरहोर के बीच बीहड़ ग्राम तीतरडांड और चितागुड़ा पारा में पहुंचकर स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया। छत्तीसगढ़ के समस्त विशेष संरक्षित जनजाति के बीच काम करने के लिये विशेष रूप से प्रतिबद्ध यह टीम पिछले एक माह से छत्तीसगढ़ के विभिन्न दूरस्थ हिस्सों में जाकर जागरूकता का कार्य कर रही है।
इस कड़ी में ग्राम चचिया के चितागुड़ा पारा में बिरहोर जनजातियों की बस्ती और ग्राम सिमकेदा के तीतरडांड में पहाड़ी कोरवा जनजाति की बसाहट में कैम्प किया। डॉ. सत्यजीत साहू ने पहाड़ी कोरवा और बिरहोरों को पोषण की कमी से होने वाली बीमारियों की जानकारी देते हुए कहा कि कुपोषण से बचाव न सिफ़र् बीमारी की रोकथाम के लिये है बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। खान-पान के सुधार से यह संभव है। डॉ. साहू ने संक्रमण से होने वाली बीमारियों के लिये नज़दीक के स्वास्थ्य सहायक से मिलने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
यहाँ स्वास्थ्य विभाग के लिये काम करने वाले इंद्रजीत ठाकुर ने बताया कि पहाड़ी कोरवा और विरझोर जनजातियों में शराबखोरी की आदत बहुत बुरी तरह से व्याप्त है। पहाड़ी कोरवा के बीच काम करने वाले रामनंदन सिंह सुपरवाइज़र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इनमें शारीरिक स्वच्छता के लिये जागरूकता बहुत कम है। ये जनजातियाँ हफ़्ते में एक ही बार स्नान करते हैं जिसके कारण त्वचा संबंधी बीमारियों की इनमें भरमार है। आर यु संस्था के तरफ़ से आए सुनील शर्मा ने कहा कि समाज के अंतिम छोर के पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों का विकास प्रदेश और देश के औसत व्यक्ति के विकास से काफ़ी कम है और समाज का उत्तरदायित्व है कि इनके लिये कार्य करें। प्रोग्रेसिव रिसर्च और इकॉनामिक्स के संतोष ठाकुर ने कहा कि सरकारी सुविधाओं के प्रयास के साथ ही पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों की संस्कृति को बचाये रखते हुये इनकी जीविका, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये विशेष प्रयासों की ज़रूरत है। इनकी परंपरागत जीवन पद्धति के अनुकूल विकास प्रकल्पों के लिये रिसर्च करके योजनाओं के स्वरूप को समझने के लिये ही डॉ. साहू के नेतृत्व में यह टीम कार्य कर रही है। टीम का मानना है कि विकसित देश की हमारी परिकल्पना में पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों का समग्र विकास भी शामिल हैं। यह सरकार और समाज दोनों के सम्मिलित प्रयासों से ही संभव है। तीतरडांड पहाड़ी कोरवा समाज के मुखिया धनीराम और चितागुड़ापारा चचिया में बिरहोर जनजाति के मुखिया समारूराम ने डॉ. सत्यजीत साहू और उनकी टीम का आभार व्यक्त कर भविष्य में भी आने का न्यौता दिया।