कोरबा। जादू एक ऐसी कला है जहां से मनुष्य की सोच खत्म हो जाती है वहां से जादू शुरू होता है। संगीत अपने आप में एक जादू है। जादू रियाज पर टिकी हुई एक कला है जो संगीत के माध्यम से शुरू होती है। 64 कलाओं में एक कला जादू भी है।
उक्त बातें जादूगर ज्ञानेन्द्र भार्गव के है। जिन्होंने प्रेस क्लब तिलक भवन में आहूत पत्रवार्ता में कही। जादू रंगीन मायाजाल का वो तिलस्मी दरवाजा है जहां मनुष्य अपने आप को स्वप्न की दुनिया में देखता है। जादूगर ज्ञानेन्द्र भार्गव ने 37 सालों में 21 हजार देश और 25 हजार शो कर चुके है। कोरबा में पहली बार उनका आगमन हुआ है। पूरे परिवार के साथ कोई कार्यक्रम देखा जाता है तो वह सिर्फ जादू है। जादू शो का मुख्य आर्कषण स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी गायब, इच्छाधारी साँप कभी साँप तो कभी लड़की, भारत माता और भ्रष्टाचार, नशा छोड़ो, नशा छुड़ाओं, मानव कटिंग, बरमुडा ट्रायंगल (त्रिकोण), जमीन से 10 फुट ऊपर उड़कर जाना, बंद बक्से से आजाद होना, मिश्र देश की शहजादी का आगमन व आकाश मार्ग से जाकर गायब होना, भूतों का नायिका के सहित नाच आदि अनेकों कार्यक्रम है। 80 के दशक में जादू कला को बड़ी हेय दृष्टि से देखा जाता था। और इस समय जादू को कला को ऊँचाईयों तक पंहुचाया गया। आज मेरी टीम में 30 शिक्षित लोग कार्यरत है। मेरा शो भारत के कई प्रदेशों में हो चुका है। मैं छत्तीसगढ़ पहली बार आया हूँ। जादू के माध्यम से समाज में व्याप्त अन्धविश्वास एवं कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुये समाज को स्वच्छता, बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ हरित क्रांति, भाई चारा, नशा मुक्ति यातायात नियमों का पालन पर्यावरण अनुपालन व अन्य जागरूकता के कार्यक्रम करते है।

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