हिमांशु डिक्सेना *कोरबा(कटघोरा):-* वर्तमान परिवेश में जहां गरीबी व विपन्नता आने पर लोग अपनों से किनारा कर लेते है तथा अपने ही अपनों का साथ छोड़ देते है।आज उसी परिवेश में चार दोस्तों ने मिलकर ना सिर्फ निर्धन परिवार में मुखिया के मृत्यु पश्चात विधिवत अंतिम संस्कार कराया बल्कि सहयोग राशि भी देकर समाज में मानवता की मिसाल पेश किया।
उक्त वाक्या है जिले के नगर पालिका कटघोरा का जहाँ वार्ड क्रमाक 08 शास्त्रीय नगर में ऋषि चक्रधारी का गरीब परिवार निवासरत है।स्व.ऋषि चक्रधारी 48 वर्ष घर का एकमात्र कमाऊ मुखिया था।जिसके कंधे पर घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी थी।दो पुत्रियों एवं एक पुत्र में बड़ी पुत्री का विवाह 5 वर्ष पहले बिलासपुर में किया गया था।पत्नी सरोज चक्रधारी 44 वर्ष मंझला पुत्र आकाश 21 व छोटी पुत्री नेहा 15 वर्ष के साथ चार सदस्यीय यह परिवार हंसी ख़ुशी जीवन व्यतीत कर रहा था।इसी बीच हँसते खेलते इस परिवार पर एकाएक विपदा की ऐसी काली साया आन पड़ी कि दो सदस्य को खोने के साथ ही परिवार निर्धन हो गया।घर का मुखिया किडनी की गंभीर बीमारी के चपेट मे आ गया और गत 5 माह पहले बिस्तर पकड़ लिया।अनेकों जगह इलाज और महंगे उपचार की वजह से इनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चली।ऐसे में पत्नी व पुत्र मिलकर दूसरों के यहां कामकाज कर मुखिया के ईलाज के साथ घर चलाने की जिम्मेदारी का जैसे-तैसे निर्वह कर रहे थे।इस दौरान अचानक घर के एकमात्र पुत्र ने 10 अगस्त 2019 को गरीबी व लाचारी से तंग आकर घर पर ही फांसी लगाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली।इससे परिवार पर दुखों का पहाड़ और गिर पड़ा।किडनी की भयंकर बीमारी और ऊपर से एकमात्र पुत्र के मौत से पिता भी काफी हताश व टूट गया और इसी बीच बीते 14 सितंबर को पिता की भी मृत्यु हो गई।एक के बाद एक दुखों का सैलाब आने से परिवार पहले से ही आर्थिक रूप से निर्धन हो गया था।अब मुखिया के मृत्यु पश्चात उसकी पत्नी के पास अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नही रह गए थे।मामले की जानकारी स्थानीय निवासी एवं क्षेत्रीय पत्रकार नवीन गोयल को हुई और उन्होंने अपने तीन दोस्त पवन अग्रवाल,डॉ.अनिल प्रताप व संजय अग्रवाल के साथ मिलकर पीड़िता के घर पहुँचे और रोते बिलखते परिजन को ढांढस बंधाया तथा राशि एकत्र कर स्व. ऋषि चक्रधारी का स्थानीय मुक्तिधाम में विधिवत अंतिम दाह संस्कार कराया गया।तथा मृतक की पत्नी सरोज चक्रधारी को चार हजार नगद सहयोग राशि भी प्रदान की गई एवं आगे दशकर्म,तेरहवी कार्यक्रम में भी शोकसंतप्त परिवार का यथासम्भव सहयोग करने की बात चारो दोस्तों ने कही।इस तरह चार दोस्तों द्वारा मिलकर मानवता की जो मिसाल पेश की गई वह सराहनीय है।
*निर्धन व दुखी परिवार को आर्थिक सहयोग की नितांत आवश्यकता*
आर्थिक रूप से निर्धन एवं माह भर में पुत्र व पति के मृत्यु से बेहद शोकित परिवार अब असहाय हो गया है।टूटेफूटे जर्जर कच्चे मकान में निवासरत शोकाकुल परिवार (माँ-पुत्री) को आर्थिक सहयोग देने की दिशा में समाजसेवी संगठन एवं संस्था इस ओर ध्यानाकर्षित कर शोकसंतप्त की ओर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए ताकि दुखी परिजन को आर्थिक सहयोग स्वरूप ढांढस मिल सके।और उनके हालात में कुछ सुधार हो सके।यही अपेक्षा है।