कोरबा। 14 साल 23 सितंबर 2009 को बालको में हुए चिमनी हादसे के मामले में काईकोर्ट ने सेपको कंपनी के 3 चीनी अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी है। तीनों अधिकारियों ने कोरबा एडीजे कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन लगाई थी।
कोर्ट ने सेपको के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जिला कोर्ट में मामला चलाने का भी आदेश दिया है। ध्यान रहे कि कोर्ट ने धारा 304 और 201 के तहत आरोप निर्धारित किया है, जिसमें आरोपियों पर जानबूझकर जान जोखिम वाले काम करने और साक्ष्य छिपाने का आरोप तय किया गया है। हाईकोर्ट में शासन की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल श्रीमती मधुनिशा सिंह ने पैरवी की। 
ज्ञात हो कि बालको में निर्र्माणाधीन 1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र के लिए 275 मीटर ऊंचाई की दो चिमनियों का निर्माण होना था। इनमें से एक का निर्माण पूर्ण हो चुका था। 23 सितंबर 2009 को बारिश के दौरान बालको प्लांट में निर्माणाधीन 240 मीटर ऊंची चिमनी ढह गई थी। घटना में 40 मजदूरों की मौत हुई थी। चिमनी 1200 मेगावाट पॉवर प्लांट के लिए बन रही थी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद बालको, जीडीसीएल, सेपको के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी भी की। इसके बाद एडीजे कोर्ट ने 13 दोषियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इनमें से चीनी ठेका कंपनी सेपको के प्रोजेक्ट मैनेजर वू छूनान, ल्यू जॉक्सन, वांग क्यूंग शामिल हैं।
0 धारा 304 को 304 ए में बदलने की याचिका
मामले में पुलिस ने भी कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इसमें बालको सहित चीनी ठेका कंपनी सेपको, उप ठेका कंपनी जीडीसीएल और एनसीसीबीएस के अधिकारियों पर भारतीय दण्ड विधान की धारा 304, जानबूझकर ऐसा कृत्य करना जिससे किसी की मृत्यु हो सकती हो और धारा 201 साक्ष्य छुपाने का आरोप लगाया गया था। इस पर आरोपियों ने धारा 304 को 304 ए, गैर इरादतन हत्या में बदलने के लिए याचिका दाखिल की थी। एडीजे कोर्ट ने आरोपियों के आवेदन को नामंजूर करते हुए सभी के खिलाफ धारा 304 और 201 के तहत आरोप निर्धारित किया। एडीजे कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी जो खारिज कर दी गई।

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