वरिष्ठजनों के कल्याण से संबंधित विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला


कोरबा। कार्यपालक अध्यक्ष छग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत् वरिष्ठजनों को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक करने कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया।
जिला न्यायालय परिसर के ए.डी.आर. भवन में डी.एल. कटकवार, जिला एवं सत्रा न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ पश्चात कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा, कल्याण और संरक्षण देने के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण एक्ट, 2007 को लागू किया गया है। इस एक्ट में बच्चों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने माता-पिता को मेनटेनेंस (भरण-पोषण या गुजारा भत्ता) दें और सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह ओल्ड एज होम्स बनाए और वरिष्ठ नागरिकों को मेडिकल सहायता सुनिश्चित करे। एक्ट भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन करता है। कोई वरिष्ठजन, जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक है, इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो स्वयं आय अर्जित करने में असमर्थ हैं अथवा उनके स्वामित्वाधीन संपत्ति में से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, ऐसे उक्त अधिनियम के अंतर्गत भरण-पोषण हेतु आवेदन करने हेतु हकदार है। जिला न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार देना चाहिए कि वे अपने से बड़े-बुजुर्गों का सदैव निष्ठा के साथ मान-सम्मान करें ताकि जब माता-पिता बूढ़े हों तो उनके बच्चे उनका उचित ध्यान रख सकें जिससे वरिष्ठजनों का जीवन स्तर सुधारा जा सकेगा।
सुश्री संघपुष्पा भतपहरी, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों ने अधिनियम के तहत कार्यवाहियों एवं प्रक्रिया के संबंध में जानकारी अनेकों उदाहरण के माध्यम सेे दी। अधिनियम से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। श्रीमती शीतल निकुंज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा आभार व्यक्त किया गया। 

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