निजी ज़मीन पर काम करने से गुंडे लगाकर रोक रहे हैं प्रोफेसर तिवारी
पहले भी ज़मीन कूटरचना के कई मामले तिवारी के खिलाफ दर्ज हैं
कोरबा। ज़मीन कूटरचना के चर्चित मामले में आरोपी बनाए गए प्रोफेसर सुरेशचंद्र तिवारी पर अब गाली देने व जान से मारने की धमकी का आरोप लगा है। मामला यहां भी ज़मीन से जुड़ा हुआ ही है। दादरखुर्द निवासी जवाहर अग्रवाल ने मानिकपुर पुलिस को सौंपे शिकायत में बताया है कि प्रोफेसर तिवारी अपने गुंडे किस्म के दोस्तों के साथ मिलकर उसकी निजी हक़ की भूमि में मिट्टी फिलिंग का काम करने नहीं दे रहे हैं। उसके द्वारा गाली गलौच करते हुए काम कराने पर जान से मारने की धमकी दी गई है।
जवाहर ने बताया है कि उसकी पंजीकृत भूमि खसरा नंबर 858 ग्राम दादरखुर्द में स्थित है जहां वो मिट्टी फिलिंग कर जमीन समतल कराना चाह रहा है। ये वही भूमि है जो तिवारी फार्म हाउस से लगी हुई है। हालांकि जवाहर अग्रवाल ने अपनी शिकायत में उसके निजी ज़मीन में दखल देने का कारण स्पष्ट नहीं किया है लेकिन प्रोफेसर तिवारी पर इससे पहले ज़मीन कूटरचना की कइयों शिकायत दर्ज है। यहां तक कि बिहार के पूर्व सचिव जगदीश प्रसाद मिश्रा से ज़मीन के धोखाधड़ी के आरोप में प्रोफेसर तिवारी को जेल भी भेजा जा चुका है। वहीं फर्जी ज़मीन बेचने के मामले में कार्रवाई करते प्रशासन ने कइयों मकानों को जमींदोज कर दिया था जिसके लिए प्रभावित लोग प्रोफेसर तिवारी के खिलाफ धरने पर भी बैठे थे।
बिहार के पूर्व सचिव से किया है 15 लाख की ठगी
शहर के मानिकपुर चौकी अंतर्गत दादरखुर्द के परशुराम नगर निवासी प्रोफेसर सुरेश चंद्र तिवारी ने बिहार के पूर्व सचिव सेवानिवृत्त जगदीश प्रसाद मिश्रा के साथ जमीन बेचने के नाम पर 15 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है।
दरअसल सेवानिवृत्ति के बाद जगदीश ने सुरेशचन्द्र से ग्राम दादरखुर्द में जमीन खरीदने के लिए संपर्क किया था। प्रो.तिवारी ने 12 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री का सौदा 15 लाख रुपए में किया। जगदीश ने उक्त रकम को 3 किस्त में तिवारी को भुगतान किया। रजिस्ट्री के लिए लगे डेढ़ लाख रुपए भी जगदीश ने चुकाए लेकिन जमीन खरीदने के बाद जब नामांतरण के लिए आवेदन तहसील में पेश किया गया तो तिवारी की पत्नी श्रीमती सुधा ने आपत्ति लगा दी जिससे नामांतरण आदेश निरस्त हो गया। इसके बाद धोखाधड़ी का पता चलने पर जगदीश ने तहसीलदार के समक्ष जांच के लिए आवेदन लगाया था। मामले में राजस्व विभाग ने जांच कराई तो पता चला कि दादरखुर्द में सुरेश चंद्र तिवारी के खाता में जमीन ही नहीं बची है। ऐसे में यदि 15 डिसमिल जमीन का नामांतरण होता है तो वह सरकारी जमीन होगी। राजस्व विभाग की जांच में सुरेशचन्द्र के 1 एकड़ जमीन को कई लोगों को बिक्री करना पाया गया। प्रोफेसर के खिलाफ दादरखुर्द में जमीन अफरा-तफरी व एक ही जमीन को कई लोगों को बेचने की शिकायतें है। मानिकपुर चौकी में मामले दर्ज भी हैं।
कई लोगो से ठगी की शिकायत
प्रोफेसर शहर के केएन कॉलेज में पदस्थ हैं। कुछ साल पहले प्रोफेसर व पत्नी सुधा के खिलाफ मानिकपुर चौकी में षडयंत्र रचकर धोखाधड़ी करने का एक मामला दर्ज है। उक्त मामले में दंपती पर जमीन को कूटरचना कर दस्तावेज में ज़मीन दिखाकर करके वर्ष 2012 में शहर के शत्रुघ्न राठौर व उर्मिला गुप्ता को 4.5-4.5 लाख रुपए में बेची गई थी। रजिस्ट्री भी करा दी गई थी लेकिन इसके बाद उन्हें मौके पर उक्त जमीन नहीं मिली थी।