कोरबा। कोरबा विकासखंड अंतर्गत पशु चिकित्सालय भैसमा के परिसर के सभी कार्य लापरवाही के कारण लंबित पड़े हैं। लापरवाही की वजह से निर्माण का लाभ स्टाफ से लेकर पशु पालकों को नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि परिसर के समतलीकरण, भवन के रंग-रोगन,  खिड़की व दरवाजा की मरम्मत, पशु शेड के फ्लोरिंग शेड के शीटों को बदलने तथा पेयजल सुनिश्चित करने हेतु बोर खनन कर पशु चिकित्सालय भवन में पानी व्यवस्था करने के लिए जिला पंचायत से पंद्रहवें वित्त के अंतर्गत ढाई-ढाई लाख रूपए की स्वीकृति हुई है। इसका प्रक्कल्लन तैयार कर कार्य पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया है किंतु उक्त कार्य को किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा कराया जा रहा है। लगभग एक साल बाद भी उक्त कार्य भलीभांति नहीं किया गया है। पशु चिकित्सालय भैसमा में महिला स्टाफ भी कार्यरत है इस दृष्टि से भवन में स्थित शौचालय बाथरूम को व्यवस्थित कर पानी आपूर्ति करना नितांत जरूरी है। परिसर में पशु चिकित्सालय भवन से लगे हुए फर्श की फ्लोरिंग की गई है जो गुणवत्ता विहीन होने के कारण तथा पानी की कमी करने की वजह से फटना शुरू हो गया है। 
पशु चिकित्सालय भवन के सामने पानी निकासी की व्यवस्था बनाने के कारण खोद दिया गया है जिससे मुख्य लाइन का पानी सप्लाई अवरुद्ध हो गया है व पानी के लिए आम नागरिक व्याकुल हो रहे हैं। पेयजल हेतु भवन परिसर में बोर उत्खनन किया गया है जो बंद पड़ा है। इसकी सुध लेने कोई नहीं आ रहे। उक्त बोर खनन भी जांच का विषय है खनन भी बहुत कम होने के कारण पेयजल हेतु स्थाई व्यवस्था नहीं माना जा सकता। जगह-जगह मिट्टी बिखरे हैं, आधे-अधूरे कार्य को छोड़कर पूरा निर्माण अस्त-व्यस्त कर दिया गया है। भवन के अंदर के दरवाजे टूटे पड़े हंै जिनकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया है। इस तरह से पांच लाख की एक बड़ी राशि शासकीय भवनों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण हेतु दी गई थी किंतु अपेक्षित और मानक अनुरूप कार्य नहीं होने से लाभ नहीं मिल पा रहा है। मांग है कि इस संदर्भ में संबंधित इंजीनियर/एसडीओ को भी अपनी भूमिका का सही निर्वहन करते हुए अब तक हुए कार्यों का आंकलन कर वैधानिक कार्यवाही की जानी चाहिए अन्यथा उनकी भी संलिप्तता की संदिग्धता बनी रहेगी।

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