कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना / पाली:- कोरोना संक्रमण के संकट को लेकर संवेदनशील बने जिले में पूरे सरकारी तंत्र का ध्यान बचाव और राहत कार्य की ओर केंद्रित है।इस हालात में जिला प्रशासन का ध्यान दूसरे कार्यों पर नहीं जा पा रहा है।जिसमे से एक अहम है मुख्यमार्गों की हालत।हालांकि वर्तमान लॉकडाउन में अभी आवागमन थमी हुई है और आवश्यक वस्तुओं के परिवहन में लगे वाहनों को छोड़कर जिले की सड़कों पर यातायात दबाव भी इन दिनों नही रह गया है।लेकिन सुधार एवं मरम्मत ना हो पाने के कारण सड़कों की दुर्दशा बद से बद्तर हो चली है।जिसमे बिलासपुर से कोरबा जिला को जोड़ने वाली तथा पाली से होकर गुजरी नेशनल हाइवे संख्या 111 की हालत तो वाहन चालकों के लिए जी का जंजाल बन गया है।जहाँ वर्तमान बेमौसम हल्की बारिश से ही उक्त मार्ग की हालत टापू बनने लायक हो गई है तथा वाहन बुरी तरह से फसने के साथ दुर्घटनाग्रस्त भी होने लगे है।अब ऐसे में जरा सोंचे कि आसन्न बरसात के दिनों में स्थिति कितनी भयावह रहेगी।
मालुम हो कि गत वर्ष बारिश पश्चात जिले की मुख्यमार्गों ने अपना अस्तित्व खो दिया है।जिसमे पाली से कटघोरा मुख्य पहुँचमार्ग भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।जहाँ वर्तमान में पाली नगर से होकर गुजरी एनएच 111 राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी दयनीय हालत के चरम पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी है।ऐसे में यदि समय रहते जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा पर ध्यान नही दिया गया तो वर्तमान गर्मी का मौसम बीतने के बाद पुनः होने वाली बारिश में इस मार्ग पर कदम रखना भी मुश्किल हो जाने के साथ आवागमन भी पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा।एक ओर वैश्विक महामारी के असर से देश और प्रदेश अछूता नहीं है।जहाँ कोरबा जिले में भी कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद से पूरे सरकारी तंत्र का ध्यान इस संक्रमण से बचाव एवं राहत कार्य पर केंद्रित है।और इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में पहली प्राथमिकता कटघोरा को कोरोना संकट से बाहर निकालकर और इसे ग्रीन जोन में लाने का है।हालाकि इस रणनीति को लेकर जिला प्रशासन पर एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है।और स्थिति सामान्य करने की दिशा पर लगातार बेहतर कार्य भी किया जा रहा है।लेकिन इस बीच मानसपटल में सवाल यह उठने लगा है कि अस्तित्वविहीन सड़क का अब सुधार कार्य होगा या नही..?जाहिर सी एवं चिंतनीय बात है कि गत एक वर्ष से भी अधिक समय से न्यायधानी सहित राजधानी को जोड़ने वाली पाली नगर से होकर गुजरी मुख्य सड़क की दुर्गति होकर रह गई है।बीते महीनों में सडकों की आवश्यक सुधार एवं मरम्मत की रूपरेखा बनाकर जिले की प्रशासनिक गतिविधि आगे बढ़ पाती उससे पहले ही कोरोना की दस्तक हो गई।और पूरे प्रशासनिक अमलों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।फिलहाल अस्तित्वविहीन मुख्यमार्गों पर चलने के दौरान पग-पग पर गड्ढों की मार झेलते हुए और गिरते-पड़ते लोगों का लॉकडाउन के दौरान आवागमन बंद है।किन्तु बारिश से पहले जर्जर सड़कों का सुधार कार्य नहीं हुआ तो इस बार स्थिति भयावह रहेगी।जहाँ कदम बढ़ाना मतलब जान जोखिम में डालने जैसा खतरा बना रहेगा।ऐसे में कोरोना संकट के बीच कुछ महीने बाद वर्षाकाल में पुनः होने वाली सड़क संकट की समस्या को लेकर लोग चिंता में डूबे हुए हैं।