कोरबा। कंजंक्टिवाइटिस के प्रकोप से इस वक्त सभी परेशान हैं। इस विषय में आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ वैद्य डॉ. नागेन्द्र नारायण शर्मा ने बताया कि इससे घबराने की या डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस रोग के लक्षणों का, इससे बचाव एवं उपाय का विस्तार से वर्णन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में वर्णित है।
कंजंक्टिवाइटिस को आयुर्वेद मे कफाभिष्यंद के रूप में बताया गया है जिसमें आंखों में संक्रमण होकर आंखों में लालिमा तथा सूजन आती है। आंख में कंजंक्टिवा एक पारदर्शी झिल्ली होती है जो पलकों और आंख के सफेद हिस्से को ढंकने का कार्य करती है। जब कंजंक्टिवा की छोटी रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है, तो उनका रंग बदलकर लाल अथवा गुलाबी हो जाता है। चूंकि आंख का रंग बदलकर गुलाबी हो जाता है, इस कारण से इस स्थिति को पिंक आई भी कहा जाता है। कुछ सामान्य उपायों जैसे पौष्टिक हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन, अनार, गाजर, अंगूर, हल्का सुपाच्य भोजन कर, आंखों में गुलाब जल डालकर तथा स्वच्छता के नियमों को अपनाकर इस रोग से ग्रसित होने से बचा जा सकता है। साथ ही इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को कॉन्टैक्ट लेंस, चश्मा आदि व्यक्तिगत नेत्र देखभाल के उपकरण, तौलिया, चादर आदि वस्तुओं को दूसरे से साझा नहीं करना चाहिये। इसके अलावा अपने नजदीकी आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से सप्तामृत लौह, आईग्रीट, नयनमित्र, आमला रसायन, त्रिफला गुग्गुलु, आई ड्रॉप- दृष्टि, सौम्या, सुनयना, आप्थाकेअर, त्रिफला आईवास, स्फटिक आईवास, आदि आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग कर इस कंजंक्टिवाइटिस के प्रकोप से बचा जा सकता है।