कोरबा। अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर काम बंद हड़ताल पर बैठी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने मांग पूरी होने तक हड़ताल पर डटे रहने का निर्णय लिया है। विभागीय निर्देशानुसार अधिकारियों ने इन्हें हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने संबंधी नोटिस पंडाल में पहुंचकर देना चाहा जिसे लेने से इनकार कर दिया। मजबूरन अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा। 
कलेक्टर दर पर वेतन, सुपरवाइजर के रिक्त पदों पर, कार्यकर्ताओं की भर्ती, प्रायमरी स्कूल के शिक्षक के रूप में दर्जा देने, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को पूर्ण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घोषित करने, सेवा समाप्ति के बाद 5 लाख रुपए एकमुश्त राशि देने, सहायिकाओं को कार्यकर्ता पद पर पदोन्नत करने की मांग करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ संयुक्त मंच के बैनर तले 28 जनवरी से यह हड़ताल जिला और ब्लाक मुख्यालयों में जारी है। इस हड़ताल के मद्देनजर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा निर्देश जारी कर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने कहा गया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों की चाबी परियोजना अधिकारी द्वारा लिया जा कर सुपरवाइजरों के जरिए महतारी समिति की मदद से गर्म भोजन के स्थान पर पूरक पोषण आहार के रूप में रेडी-टू-ईट वितरण कराने निर्देशित किया गया है। इसके बाद 10 बिन्दुओं पर निर्देश जारी कर 48 घंटे के भीतर कार्यकर्ता-सहायिकाओं को काम पर लौटने की चेतावनी दी गई है और वापस नहीं होने पर मानदेय रोकने तथा सेवा समाप्ति जैसी कार्यवाही की बात कही गई है। यह निर्देश जारी होने के बाद कार्यकर्ता-सहायिकाओं में प्रदेश भर में आक्रोश व्याप्त है और अपनी जायज मांगें पूरी होने तक हड़ताल पर बने रहने का निश्चय किया है। संयुक्त मंच के पदाधिकारियों द्वारा अपनी बातें शासन तक पहुंचाई जा रही है। दूसरी ओर उक्त निर्देश का पालन करते हुए आज घंटाघर चौक तथा कटघोरा स्थित पंडाल में महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, सेक्टर सुपरवाइजरों ने पहुंच कर शासन के विभागीय आदेश की प्रति सौंपना चाहा लेकिन कार्यकर्ताओं ने इसे लेने और किसी भी तरह से हड़ताल वापसी की संभावना से इनकार किया। पदाधिकारियों ने मांगों को जायज होना बता कर विभागीय व्यवस्था में सहयोग देने से फिलहाल इनकार किया गया। इसके बाद अधिकारी यहां से लौट गए। कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने संयुक्त मंच की जिलाध्यक्ष श्रीमती वीणा साहू व अन्य नेतृत्वकर्ताओं के मार्गदर्शन में घंटाघर चौक से कलेक्टोरेट तक पदयात्रा कर मांगों के लिए आवाज बुलंद की। कई जगह निर्देश की प्रतियां जला कर विरोध जताया गया।

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