कोरबा। 25 जून हमारे देश के इतिहास में काला दिवस के रूप में याद किया जाता है। कांग्रेस पार्टी और कांग्रेसियों की सोच आज भी वही है, जैसा कि आपातकाल के दौरान था। कांग्रेसी आज भी देश को तानाशाही सोच से ही चलाना चाहते हैं। आने वाले कल के भविष्य में वे पुनः ऐसा न कर सकें, देशवासियों के अधिकारों का दमन और लोकतंत्र को खतरे में न डाल सकें, इसके लिए हम सभी को सहज और सतर्क रहने की जरूरत हैं।

यह बातें मंगलवार को कोरबा प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद लखनलाल साहू ने सन् 75 के आपातकाल के दौर को याद करते हुए कहीं।

उन्होंने आगे कहा कि उस दौर में भारत के नागरिकों के अधिकारों के हनन का प्रयास हुआ। लाखों मीसा बंदियों को 25 जून 1975 से लेकर मार्च 1977 तक जेल में रहे। प्रेस की स्वतंत्रता भी छीन ली गई थी। तब के दौर में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति का आंदोलन चला और इन्होंने न्यायालय में याचिका भी लगाई। जिसमें चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पद और सत्ता को बचाने के लिए आपातकाल घोषित कर दिया। इस आपातकाल के कारण देश की जनता परेशान हुई।

इस अवसर पर कोरबा प्रेस क्लब के मंच पर वार्ता में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ के श्रम उद्योग और वाणिज्य मंत्री लखन लाल देवांगन, भाजपा जिलाध्यक्ष डा राजीव सिंह, पूर्व महापौर जोगेश लाम्बा, भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रफुल्ल तिवारी, महामंत्री टिकेश्वर राठिया, भाजपा मीडिया प्रभारी मनोज मिश्रा और सह प्रभारी पवन सिन्हा उपस्थित रहे।

साय सरकार में मीसाबंदियों को मिलने वाला भत्ता पुनः शुरू : मंत्री लखन लाल देवांगन

उल्लेखनीय होगा कि आज के इस दिन यानी 25 जून 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और दिशा निर्देश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले में मीसा बंदियों का सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। लोगों की जागरूकता और मौलिक अधिकारों के प्रति सजग करने के लिए प्रयास किए गए। इस अवसर पर मौजूद रहे श्रम, उद्योग और वाणिज्य मंत्री लखन लाल देवांगन ने बताया कि कोरबा में वर्तमान में एक ही मीसाबंदी निवासरत हैं। पूर्व CM डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में मीसाबंदियों को मिलने वाले भत्ते को विष्णुदेव सरकार में पुनः शुरू कर दिया गया है। पूर्व की कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया था।

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