छत्तीसगढ़

दृष्टि बाधित बच्चों की शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं

रायपुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। कहते हैं भगवान ने आंखों को रोशनी न दी तो क्या, ज्ञान का प्रकाश ही काफी है, जीवन में उजाले के लिए। कुछ इसी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जला कर समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं प्रधान पाठक जसवंत कुमार आदिले और उनके सहयोगी। छत्तीसगढ़ सर्व दिव्यांग कल्याण संघ के सहयोग से दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। यह विद्यालय आंखों की रोशनी न रखने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संस्थापक जसवंत कुमार आदिले ने बताया छ.ग. सर्व दिव्यांग कल्याण संघ की मदद से 2017 से दृष्टिबाधित विशेष विद्यालय का संचालन सक्ती में कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सर्व दिव्यांग कल्याण संघ के सहयोग से दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती में वर्तमान में कक्षा एक से 10 वीं तक 60 छात्र एवं छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिन्हें ब्रेल लिपि के सामान्य शिक्षा के अलावा दृष्टि बाधित बच्चों को चलने-फिरने, घरेलू कार्याे की जानकारी, पहचानने की विधि, उनके पुनर्वास और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाते हैं। सक्ती के कसेरपारा वार्ड क्रमांक 01 के सामुदायिक भवन पर विद्यालय संचालित है। इस संस्था में झारखण्ड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ के सभी जिले से दृष्टि बाधित बच्चे यहां शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। दृष्टि बाधित बच्चों को भगवान भले ही दृष्टि हीन बना दिया है, लेकिन इनका जज्बा बताता है कि हम किसी से कम नहीं।

दृष्टि बाधित जसवंत कुमार आदिले स्वयं शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय महामाया पामगढ जिला जांजगीर-चाम्पा में प्रधान पाठक के रूप में पदस्थ है। उन्होंने बताया कि सभी बच्चे एक सभ्य नागरिक बन देश और समाज के लिए कुछ करने की तमन्ना मन में रखे हुए हैं। इनके लिए ब्रेल लिपि से अक्षर के ज्ञान से फर्राटे से हिन्दी की किताब पढ़ना, निबंध लिखना आम बात है। इन दृष्टि बाधित बच्चों के पढने की शैली से कोई आम बच्चों से अंतर नहीं कर सकता है। बच्चों की एक ही ललक है कि हम भी पढ़-लिखकर समाज में अपनी पहचान बनाए। यहां पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि वह पढ़कर शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई एक संगीतकार बनने की लालसा मन में रखे हुए हैं। दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संरक्षक जसबंत चावला ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जन सहयोग से इस विद्यालय का संचालन किया जा रहा है।

पढ़ाने के लिये शिक्षक पदस्थ हैं, जिन्हें विद्यालय द्वारा वेतन दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों को निःशुल्क आवास एवं भोजन दिया जाता है, जिसे पूरा करने में आर्थिक बोझ ज्यादा हो जाता है। लेकिन बच्चों के भविष्य को अपना भविष्य समझ इनके शिक्षा में कोई व्यवधान न हो। इसके लिए निरंतर प्रयास में जुटे रहते हैं। दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संस्थापक जसवंत कुमार आदिले की पत्नी श्रीमती विन्धेष्वरी, दृष्टि बाधित सहायक शिक्षक कमलेश साहू, नरेन्द्र पांडेय मिल जुलकर सहयोग से चला रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button