छत्तीसगढ़

वाटरशेड यात्रा का शुभारंभ, जल संरक्षण के प्रति जागरूक हुए ग्रामीण

बेमेतरा (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। जिले में डब्लूडीसी -पीएमकेएसवाई 2.0/2 हरदास नाला परियोजना के अंतर्गत वाटरशेड यात्रा का शुभारंभ किया गया। इस यात्रा के दौरान माइक्रो वाटरशेड समिति सूखताल के आश्रित ग्राम समुंदवारा एवं माइक्रो वाटरशेड समिति ओड़िया के आश्रित ग्राम बनियाडीह में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और ग्रामीणों को जल संचयन के महत्व को समझाना था।

वाटरशेड यात्रा के अंतर्गत दीवार लेखन, शोभा यात्रा, अमृत सरोवर तालाब में श्रमदान, वृक्षारोपण, पानी की पाठशाला, रंगोली प्रतियोगिता, जसगीत एवं सुवा नृत्य जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। साथ ही ग्राम समुंदवारा में चेक डेम निर्माण हेतु भूमि पूजन किया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।

विशेषज्ञों ने जल संरक्षण का महत्व बताया

इस अवसर पर उप संचालक कृषि सह परियोजना प्रबंधक डब्लूसीडीसी  बेमेतरा श्री मोरध्वज डड़सेना, परियोजना अधिकारी श्री संतोष गोंड़, डब्लूडीसी के सदस्य श्री पुरुषोत्तम ठाकुर, गणेशराम साहू, ईश्वर साहू, देवनारायण ध्रुव, देव लाल साहू (कंप्यूटर ऑपरेटर), जनकू पाल डब्लूसीडीसी सहित जलग्रहण समितियों के वर्तमान एवं पूर्व अध्यक्ष, सचिव और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मोरध्वज डड़सेना ने जल संरक्षण के महत्व और भविष्य में जल संकट की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने जल की बचत और इसके उचित उपयोग पर जोर दिया। वहीं परियोजना अधिकारी श्री संतोष गोंड़ ने जल संकट से बचने के उपायों पर चर्चा की और ग्रामीणों को जल संरक्षण के महत्व को समझाते हुए शपथ दिलाई।

वाटरशेड वैन के माध्यम से जल संरक्षण की जानकारी

भारत सरकार द्वारा वाटरशेड यात्रा के लिए तैयार विशेष वैन के माध्यम से प्रोजेक्टर पर जल संरक्षण से संबंधित उपायों का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान ग्रामीणों को जल संचयन की आधुनिक और पारंपरिक तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने भी जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की अपील की।

उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया गया सम्मानित

कार्यक्रम के अंत में जल संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों, उत्कृष्ट किसानों और सक्रिय महिला स्व-सहायता समूहों को प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस यात्रा के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी और वे जल बचाने की दिशा में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए प्रेरित हुए। वाटरशेड यात्रा जिले में जल संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।

 

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