कोरबा: कूल्हे के असहनीय दर्द से परेशान 39 वर्षीय सुनीता बाई का जीवन अब पूरी तरह बदल चुका है। सुनीता को पिछले दो साल से चलने-फिरने और बैठने में कठिनाई हो रही थी। कई अस्पतालों में इलाज के बावजूद राहत नहीं मिली। अंततः, न्यू कोरबा हॉस्पिटल (एनकेएच) में सफल जोड़ प्रत्यारोपण (जॉइंट रिप्लेसमेंट) से सुनीता को नई जिंदगी मिली और उनके जीवन की मुश्किलें आसान हो गईं।

रजगामार निवासी सुनीता बाई को कूल्हे में दर्द की समस्या के चलते दो साल तक कई अस्पतालों में इलाज कराना पड़ा। दर्द से राहत न मिलने के कारण उनकी जिंदगी कठिन हो गई थी। इसी दौरान उनके एक परिचित ने उन्हें एनकेएच हॉस्पिटल में कूल्हे के जोड़ के सफल प्रत्यारोपण के बारे में बताया। आशा की किरण के साथ, सुनीता अपने परिजनों के साथ एनकेएच अस्पताल पहुंचीं और वहां के अस्थि रोग विशेषज्ञ, ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एस. चंदानी से मिलीं। आवश्यक परीक्षणों के बाद, डॉ. चंदानी ने सुनीता को दाहिने कूल्हे के जोड़ के एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) सर्जरी करवाने की सलाह दी। सुनीता और उनके परिवार की सहमति से सर्जरी का निर्णय लिया गया।

विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. चंदानी और उनकी टीम ने सुनीता का दाहिने कूल्हे का सम्पूर्ण प्रत्यारोपण किया। यह सर्जरी मात्र एक घंटे में सफलतापूर्वक पूरी हुई। सर्जरी के दो दिन बाद ही सुनीता चलना शुरू कर सकीं। ऑपरेशन के 6 दिन बाद सुनीता को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डिस्चार्ज के दौरान, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश सिंह ने सुनीता को कुछ व्यायाम बताए, जिनका पालन कर अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और बिना किसी परेशानी के सामान्य तरीके से चल-फिर और बैठ पा रही हैं। सुनीता और उनके परिजनों ने सफल सर्जरी के लिए डॉ. चंदानी और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया है। कोरबा जिले में इस सुविधा का उपलब्ध होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे स्थानीय निवासियों को बड़ा लाभ मिला है। इस सफलता ने न केवल सुनीता के जीवन को नई राह दी है बल्कि अन्य मरीजों के लिए भी उम्मीद की किरण जगाई है।

एवैस्कुलर नेक्रोसिस (ए.वी.एन.) क्या है?

एवैस्कुलर नेक्रोसिस एक ऐसी बीमारी है जो हड्डी में रक्त की आपूर्ति के अस्थायी या स्थायी नुकसान के कारण होती है। यह आमतौर पर लंबी हड्डी के सिरों पर होता है। वैस्कुलर नेक्रोसिस तब होता है जब जोड़ में हड्डी के भीतर रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है और परिणामस्वरूप पर्याप्त रक्त (ऑक्सीजन और पोषक तत्व) हड्डी के प्रभावित हिस्से तक नहीं पहुँच पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप हड्डी के ऊतकों का नेक्रोसिस (मृत्यु) हो जाता है।

एनकेएच में 100 से अधिक सफल जोड़ प्रत्यारोपण

एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस. चंदानी ने बताया कि पहले जिले के मरीजों को कूल्हे के जोड़ प्रत्यारोपण के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता था। अब एनकेएच में ही यह सुविधा उपलब्ध होने से मरीजों को कम खर्च में बड़ा ऑपरेशन यहीं किया जा रहा है। अब तक 100 से अधिक मरीजों का कूल्हे, कंधे और पैर के जोड़ का पूर्ण प्रत्यारोपण (THR) एनकेएच में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। पिछले कुछ महीने में ही आधा दर्जन टी.एच.आर के सफल ऑपरेशन किए गए हैं।

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