छत्तीसगढ़

सुशासन तिहार के दौरान लापरवाही: SDM-CEO निलंबित, कइयों को नोटिस…

गरियाबंद (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। सुशासन तिहार 2025 के तहत प्राप्त जन आवेदनों के त्वरित और व्यवस्थित समाधान को लेकर गरियाबंद कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल ने आज जिला कार्यालय सभाकक्ष में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रत्येक आवेदन की गंभीरता से जांच कर उसकी ऑनलाइन एंट्री की जाए और संबंधित विभाग को त्वरित निराकरण के लिए भेजा जाए। लापरवाही बरतने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

कलेक्टर ने कहा कि एन्ट्री और निराकरण की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाए, और पावती प्राप्त करते हुए हर आवेदन की ट्रैकिंग सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कार्य में किसी भी प्रकार की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

1.45 लाख से अधिक आवेदन, 20 दिन में निराकरण अनिवार्य
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर 8 से 11 अप्रैल तक जिले में सुशासन तिहार के पहले चरण में 1,45,984 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन आवेदनों का निराकरण 20 दिनों के भीतर अनिवार्य है। यह अभियान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संचालित किया गया।

गैरहाजिर अधिकारियों पर कार्रवाई
कलेक्टर अग्रवाल ने क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान फिंगेश्वर सीएमओ चंदन मानकर को कार्यालय और मुख्यालय से अनुपस्थित पाए जाने पर निलंबन की अनुशंसा की है। इसके अलावा समीक्षा बैठक में बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें शामिल हैं:

एसडीएम: विशाल महाराणा (राजिम), पंकज डाहिरे (मैनपुर), तुलसीदास मरकाम (देवभोग)
सीईओ/सीएमओ: श्वेता शर्मा (मैनपुर), रवि सोनवानी (देवभोग), मनीष गायकवाड़ (राजिम), श्यामलाल वर्मा (कोपरा), लालसिंग मरकाम (छुरा), संतोष स्वर्णकार (देवभोग)

अन्य विभागों को भी चेतावनी
साथ ही कई विभागों के जिला अधिकारियों को भी कार्यानिष्पादन में शिथिलता को लेकर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
महिला एवं बाल विकास – अशोक पाण्डेय
शिक्षा – ए.के. सारस्वत
कृषि – चंदन रॉय
जल संसाधन – एस.के. बर्मन
बिजली, उद्यानिकी, रेशम, क्रेडा, खनि, खादी, रोजगार, बैंकिंग और राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारी

बैठक में जिला पंचायत सीईओ जी.आर. मरकाम, अपर कलेक्टर नवीन भगत, प्रकाश राजपूत सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

यह कदम शासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया एक ठोस प्रयास माना जा रहा है, जिसमें प्रशासनिक दक्षता और नागरिक संतुष्टि दोनों को प्राथमिकता दी जा रही है।

 

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