छत्तीसगढ़

बालको के मोर जल मोर माटी परियोजना ने कृषि नवाचार को दिया बढ़ावा

 

 

बालकोनगर,  l वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपने मोर जल मोर माटी परियोजना के अंतर्गत दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया। वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर तथा भटगांव गांव में आयोजित कार्यक्रम में 40 गांव के 600 से अधिक किसानों ने भाग लिया। आयोजन कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने और ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने में बालको की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 

 

 

किसान दिवस के तहत आयोजित मेले में विभिन्न स्टॉल लगाए गए। बालको की मोर जल मोर माटी परियोजना के दो स्टॉल, एकीकृत कीट एवं पोषक तत्व प्रबंधन, फसल चक्र, रोग संक्रमण के साथ पशुधन विकास पद्धति जैसे नस्ल की विविधता तथा चारा प्रबंधन आदि पर ध्यान केंद्रित था। जिला कृषि, बागवानी, पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र, कटघोरा ने भागीदारी कर, पोल्ट्री हैचरी सहित कृषि नवाचार और नवीन मशीनरी का प्रदर्शन किया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय जैसे राज्य कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय ने भी भाग लिया। इन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों के साथ किसान को परामर्श भी दिया। मेले में बाड़ी प्रबंधन, ग्राफ्टिंग, बीज ड्रेसिंग और मिट्टी की जुताई का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया गया। इसका उद्देश्य किसानों को उत्पादकता में सुधार हेतु कृषि तकनीक और सस्टेनेबल खेती के तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना था।

 

कार्यक्रम के दौरान प्रगतिशील किसान को उनके समर्पण और दूरगामी दृष्टिकोण के लिए सराहा गया। वितरित किए गए पुरस्कारों में गैर-लकड़ी वन उत्पाद (एनटीएफपी) लाख खेती स्प्रे किट जैसे उन्नत उपकरण शामिल थे, जिन्हें कृषि उन्नति को प्रेरित करने और समुदाय में युवा किसानों को प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कृषि जागरूकता के साथ कार्यक्रम में रस्साकशी और तीरंदाजी जैसे पारंपरिक खेलों के माध्यम से ग्रामीण सौहार्द देखने को मिला। इन गतिविधियों ने मनोरंजन को सार्थक सीखने के अनुभवों के साथ मिलाते हुए आनंद और एकता का माहौल बनाया।

 

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि हमारे किसान देश के आर्थिक विकास के प्रमुख अंग हैं। उन्होंने बताया किसान मेला नवीन कृषि प्रथाओं के माध्यम से गांव को समृद्ध बनाना जो बालको के दृष्टिकोण का प्रतीक है। हमारा लक्ष्य किसानों को बेहतर संसाधन और कृषि प्रशिक्षण प्रदान कर, सस्टेनेबल कृषि तंत्र बनाना जो आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

 

कृषिका श्रीमती लक्ष्मीन बाई ने कहा कि किसान मेला एक ऐसा अनुभव रहा है जिसका हम बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह एक अंतर्दृष्टि प्रदान कर, हमें खेत की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है। बालको का समर्थन हमें आधुनिक कृषि तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित करने के साथ एक समृद्ध भविष्य की ओर लेकर जाता है।

 

कृषि में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ बालको की मोर जल मोर माटी परियोजना 40 गांवों में लगभग 2200 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 5000 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। परियोजना का कार्यान्वयन बायफ इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल लाइवलीहुड के सहयोग किया जा रहा है। इस पहल के तहत किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिसमें सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई), ट्रेलिस, जैविक खेती, जलवायु अनुकूल फसल, सब्जी और गेहूं की खेती आदि जैसी आजीविका बढ़ाने वाली गतिविधियों शामिल हैं। लगभग 15% किसान पशुपालन, बागवानी और गैर-लकड़ी वन उपज जैसी आजीविका जुड़े हुए हैं। परियोजना ने बाड़ी प्रबंधन को बढ़ाते हुए पशुधन विकास के तहत नई पहल भी शुरू की है। सतत विकास और सामुदायिक विकास पर को केंद्र में रखकर बालको भारत के कृषि क्षेत्र में प्रगति का एक प्रतीक बना हुआ है।

 

 

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