मार्कण्डेय मिश्रा की रिपोर्ट

कोरबा, 20 जून – कोरबा में स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां के सीएमएचओ डॉ एस एन केशरी ने अपने शौक को पूरा करने सरकारी खजाने में डाका डाल दिया और उनका सहयोग किया तत्कालीन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अशरफ अंसारी ने ! दरसअल साहब को लग्जरी गाड़ी में चलने का शौक है वो भी नई नवेली… 

जब सीएमएचओ साहब कोरबा पहुंचे तब उनके सामने तस्वीर में नज़र आ रही इस सरकारी सूमो को खड़ा किया गया लेकिन साहब तो ठहरे साहब उन्होंने इनोवा की डिमांड कर दी, नए साहब को खुश करने डीपीएम अशरफ अंसारी ने एक ओल्ड मॉडल इनोवा को खड़ा कर दिया जो एनएचएम में नियोजित थी गाड़ी थी इनोवा लेकिन थी पुरानी सो साहब को कुछ दिन बाद ही नई मॉडल इनोवा (क्रिस्टा) का ख्याल आया। साहब ने सोचा क्या नया इनोवा द्वार पर खड़ा मिला। नई इनोवा की पहले तस्वीर देखिए फिर इसकी दास्तान को आपको बताएंगे कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग कैसे किया जाता रहा। 

साहब को नई इनोवा पसंद आ गई अब सरकारी काम हो या फिर निजी काम साहब इनोवा से ही जाना शुरू कर दिए। इनोवा का पसंद इतना कि एनएचएम के किराए की गाड़ी को साहब अपने घर मे खड़ा कराने लगे। इस बीच पुराने सूमो को भूलियेगा नहीं क्योंकि इस गाड़ी में भले ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का बोर्ड लगा है भले साहब इसमें एक दिन भी बैठते नहीं हो लेकिन ये कागजो में दौड़ती खूब है। पेट्रोल पंप के लाखों के बिल इस बात की गवाही देते नहीं थकते की साहब की इस सरकारी गाड़ी में दौड़ खूब लगती है। धूल फांकती ये सूमो अब दम तोड़ने में कगार पर है लेकिन है जिंदा… हम नई इनोवा की बात कर रहे थे साहब ने इन उपयोग कर लिया कि सुबह जिम भी अपनी निजी गाड़ी आर्टिगा को छोड़ इनोवा में जाने लगे ड्राइवर नहीं आता है तो क्या हुआ खुद ही अपनी ड्राइविंग स्किल का उपयोग करते हुए कोरबा की सड़कों पर फर्राटे मारते सुबह निकल जाते है। इस निजी किराये की गाड़ी का महीने का किराया ही ड्राइवर सहित 50 हजार से अधिक है डीजल अलग ! अब सरकारी गाड़ी धूल खाते खड़ी हो तो ड्राइवर क्या करे तो सरकारी ड्राइवर निजी इनोवा को दौड़ाते नज़र आ जाएंगे। मतलब निजी ड्राइवर का वेतन तो निकलता है लेकिन वो पैसा ठेकेदार की जेब मे जाता है या फिर किसी और कि ये हम नहीं जानते है, जानते है तो सिर्फ इतना कि साहब की फिजूलखर्ची देख एनएचएम में संविदा कर्मी तत्कालीन डीपीएम अरशद अंसारी, डैम मंजू भगत भी किराये की गाड़ी का पूरा उपयोग करते है। वैसे तो ये लोग रायपुर की अधिकांश मीटिंग में नहीं पहुंचे है लेकिन गाड़ी ठेकेदार ने पूरा बिल रायपुर का बनाया है। यही वजह है कि एनएचएम में किराए की ली गई गाड़ियों का बिल ही महीने में 10 लाख से ज्यादा हो जाता है। सीएमएचओ साहब सबको पास करते है क्योंकि शौक तो उनका ही है न…

सीएमएचओ और एनएचएम की कहानी जारी रहेगी पढ़ते रहिये और जानते रहिए छुपा सच…

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