कोरबा. जिले के 437 प्राथमिक शालाएं बिना खेल मैदान के संचालित हो रही है। इन में 43 स्कूल शहरी और उपनगरीय क्षेत्र के हैं। बच्चों की खेलने की जगह में नया स्कूल भवन अथवा अतिरिक्त कक्ष तो बना दिया गया लेकिन पुराने भवनों को नहीं तोड़ा गया हैं, जो खंडहर में बदल चुके हैं। 108 से भी अधिक शाला प्रबंध समितियों दो साल से शिक्षा विभाग में दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे भवनों को तोड़ने शिक्षा विभाग को आवेदन कर रहे हैं। आरइएस या पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से तकनीकी रिपोर्ट मिलने के बाद भी बजट स्वीकृति का प्राविधान है। इस जटिल प्रक्रिया की वजह से अनुपयोगी पुराने शाला भवन अब समस्या बन गई है। बच्चों के बौद्धिक के साथ शारीरिक विकास के लिए खेल जरूरी हैं। इस वजह से स्कूल भवन निर्माण के साथ खेल निर्माण की अनिवार्यता लागू की गई है। खासतौर पर प्राथमिक शाला के बच्चों के लिए यह अति अनिवार्य है। आवश्यकता नहीं होने के बावजूद कई स्कूल के अंदर अतिरिक्त भवन का निर्माण कर दिया गया है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि बच्चों के खेल मैदान सिमट गए या फिर पूरी तरह समाप्त हो गए। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शहर के निकट नकटीखार और भुलसीडी स्कूल परिसर में देखा जा सकता है। खेल मैदान में अतिक्ति भवन का निर्माण कार्य तो शुरू कर दिया गया पर यह 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। उधर शहर के पीडब्ल्यूडी रामपुर प्राथमिक शाला के पुराने भवन अनुपयोगी हो चुके हैं। यहां के खेल मैदान में अतिरिक्त कक्ष बना दिया गया है। शाला प्रबंध समिति के माध्यम से शिक्षा विभाग को कई बार अवगत कराया जा चुका है।
फैक्ट फाइल
521- जर्जर स्कूल भवन
437- खेल मैदान विहीन स्कूल
152- खेल शिक्षकों की कमी
108- जर्जर भवन को डिस्मेल्ट के मिले आवेदन
स्कूल परिसर में निर्मित पुराने भवनों के डिस्मेल्ट के लिए आवेदन भी आए हैं। शाला प्रबंधन समिति के प्राप्त आवेदन और अनुशंसा के आधार पर प्रशासनिक नियम के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जीपी भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी