IAS संजीव झा की कथा भाग 5: भ्रष्टाचार के लिए निगम के बिल्डिंग में शिक्षा विभाग ने कर दिया करोड़ों का फर्नीचर सप्लाई! हैरत देखिए, जिनके नाम पर हुआ करोड़ों का खेला, उनके ही रहने को नहीं है जगह, संजीव झा की अजीब माया…
IAS संजीव झा की कथा भाग 5: भ्रष्टाचार के लिए निगम के बिल्डिंग में शिक्षा विभाग ने कर दिया करोड़ों का फर्नीचर सप्लाई!
हैरत देखिए, जिनके नाम पर हुआ करोड़ों का खेला, उनके ही रहने को नहीं है जगह, संजीव झा की अजीब माया…
कोरबा। आपने अजब प्रशासन के गजब कहानी सुने होंगे, लेकिन कोरबा में प्रशासन प्रमुख रानू साहू और संजीव झा ने जो किया, वैसा शायद ही किसी और कलेक्टर ने किया होगा। रानू साहू फिलहाल डीएमएफ घोटाले के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में हैं, जबकि IAS संजीव झा के ऊपर अब तक जांच की आंच नहीं आई है। संजीव झा की कई दास्तान हम आपको बता चुके हैं। आज एक अलग ही कहानी बताते हैं, जो सबसे अलग है। ये कहानी उन कहानियों से अलग है, जिनमें अभी DMF घोटाले मामले में बंद और बंद होने वाले आरोपी ठेकेदारों – दलालों को संजीव झा के कार्यकाल में फलने-फूलने का पूरा अवसर मिला।
9 करोड़ की इमारत: महिलाओं के लिए या भ्रष्टाचार का अड्डा?
साल 2018 से एक बिल्डिंग का निर्माण कोरबा में हो रहा था। 9 करोड़ से अधिक की लागत से बन रही इस बिल्डिंग के निर्माण का जिम्मा नगर निगम के पास था। चार साल बाद, 2022 में बिल्डिंग का निर्माण पूरा हुआ। कार्य पुराना सेशन था, इसलिए फाइनल पेमेंट के समय ज्यादा कुछ गुंजाइश नहीं थी। गुणवत्ता और अन्य कुछ मापदंडों में निगम में बैठे झा साहब के खासमखास ने कुछ कमाल दिखाया हो तो नहीं कह सकते।
कमरे 95 फर्नीचर 1 करोड़ रुपये का
जुलाई 2022 से कोरबा में साहब के श्री चरण पड़ चुके थे। अब ये 9 करोड़ की बिल्डिंग दिखी, जिसमें दावा किया गया कि इस बिल्डिंग में कामकाजी एकल महिलाओं को रियायती दर पर आवास दिया जाएगा। यहां के लिए फर्नीचर की योजना बनी। 95 कमरों के लिए लगभग 1 करोड़ देना तय हुआ। मतलब हर कमरे के लिए 1-1 लाख! आप समझ सकते हैं कि 1 लाख रुपये में आपके-हमारे घर में गृहस्थी का सारा सामान आ जाए, लेकिन यहां सिर्फ पलंग, अलमारी देना था। शायद जरूरत से ज्यादा देना था, इसलिए दाम ज्यादा था।
शिक्षा विभाग से कराया महिला बाल विकास विभाग का काम!
फर्नीचर खरीदी का जिम्मा महिला बाल विकास के बजाय शिक्षा विभाग को सौंपा गया। यहां के समग्र शिक्षा के डीएमसी साहब झा के नवरत्नों में से थे। 1 करोड़ की खरीदी हो गई। बोलने वाले बताते हैं कि खरीदी के सामान में कम से कम 30% कमीशन था।
महिला बाल विकास विभाग के लिए बनी इमारत स्वास्थ्य विभाग को मुफ्त में
महिलाओं के लिए बनी इमारत को बाद में स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया गया। टेंडर रद्द कर विज्ञापन महज दिखावा बन गया। इस करोड़ों के बेफिजूल खर्च में खदान की धूल, मिट्टी और कोयला खाकर ब्लास्टिंग का दंश झेल रहे मजदूरों और उनके बच्चों को कोई लाभ नहीं मिला।
सुलगते सवाल :
- क्या महिलाओं और मजदूरों के नाम पर शुरू की गई DMFT योजना सिर्फ भ्रष्टाचार का जरिया थी?
- 1 लाख रुपये प्रति कमरे का फर्नीचर – क्या यह खुली लूट नहीं है?
- जब रानू साहू डीएमएफ घोटाले में जेल में हैं, तो संजीव झा के कार्यकाल की जांच अब तक क्यों नहीं हुई?
- क्या जनता का पैसा सिर्फ ठेकेदारों और अधिकारियों की जेब भरने के लिए है?
- आखिर कब तक ऐसे घोटालों पर पर्दा डाला जाता रहेगा?
कोरबा की जनता जवाब मांग रही है।