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कोरबा में BJP की ऐतिहासिक बेइज्जती! मंत्री के सामने ही पार्षदों ने अधिकृत प्रत्याशी को नकारा, बागी को बना दिया सभापति

अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या लखनलाल देवांगन खुद को सुप्रीम मानने लगे हैं? या फिर वास्तव में उनके हाथ में अब कुछ भी नहीं बचा?

कोरबा में BJP की ऐतिहासिक बेइज्जती! मंत्री के सामने ही पार्षदों ने अधिकृत प्रत्याशी को नकारा, बागी को बना दिया सभापति

कोरबा। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ऐसी फजीहत पहले कभी नहीं हुई! नगर निगम सभापति चुनाव में खुद बीजेपी के पार्षदों ने अपने अधिकृत प्रत्याशी की लुटिया डुबो दी। मंत्री लखनलाल देवांगन की मौजूदगी में बीजेपी का सबसे बड़ा खेला हो गया, और पार्टी को शर्मसार कर दिया गया। सत्ता और संगठन इस घटना के बाद आमने-सामने आ गए हैं। चुनाव के बाद मंत्री का बयान भी सुर्खियों में है! अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या मंत्री लखनलाल देवांगन भी इस खेल में शामिल थे ? ये सवाल इसलिए लाजमी है कि क्योंकि बिलासपुर, चिरमिरी समेत अधिकांश निगम में निर्विरोध सभापति निर्वाचित हुए है, कोरबा में वोटिंग की नौबत आ गई !

मंत्री के सामने BJP की किरकिरी, पार्टी दो फाड़!

नगर निगम सभापति पद के लिए बीजेपी ने हितानंद अग्रवाल को टिकट दिया था, लेकिन चुनाव के दिन पार्षदों ने खुलेआम बगावत कर दी। हंगामे के बीच भाजपा के ही पार्षदों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और बीजेपी के बड़े नेता बागी उम्मीदवार नूतन सिंह ठाकुर को जिताने में जुट गए।

ऐसा रहा नतीजा उड़ गए सबके होश ?

बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल को सिर्फ 18 वोट मिले!
बागी भाजपा नेता नूतन सिंह ठाकुर को 33 वोट मिले और वो सभापति बन गए।
निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रहमान को 16 वोट मिले।

इतनी बुरी हार कि BJP नेताओं के उड़ गए होश!

बीजेपी को जब यह अहसास हुआ कि पार्टी के ही पार्षद अंदरूनी साजिश रचकर अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ मतदान कर रहे हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मंत्री लखनलाल देवांगन की मौजूदगी में भाजपा के पार्षदों ने सरेआम बगावत कर दी और पार्टी नेतृत्व की धज्जियां उड़ा दीं।

छत्तीसगढ़ बीजेपी और कोरबा संगठन अलग-अलग चलता है ?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन से कोरबा संगठन अलग चलता है? क्या प्रदेश नेतृत्व का कोरबा के भाजपाइयों पर कोई असर नहीं है? अगर नहीं, तो इसकी असली वजह क्या है?

1️⃣ क्या मंत्री लखनलाल देवांगन के सामने संगठन का कोई मूल्य नहीं?
2️⃣ क्या कोरबा में बीजेपी में मंत्री से अलग कोई नया पावर सेंटर खड़ा हो गया है?
3️⃣ क्या बीजेपी की प्रदेश इकाई का संगठनात्मक ढांचा बिखर चुका है?

मंत्री खुद में सुप्रीम हो गए या फिर इनके बस में कुछ नहीं ?

अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या लखनलाल देवांगन खुद को सुप्रीम मानने लगे हैं? या फिर वास्तव में उनके हाथ में अब कुछ भी नहीं बचा ? क्योंकि पूरी वोटिंग मंत्री के आंख के सामने हुई है, सोफे में बैठे मंत्री लखन ने एक-एक वोट गिनकर डलवाये है एक पार्षद ने तो किसी को भी मत नहीं दिया इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्देश का कैसा असर था ! या फिर निर्देश देने वाले ही नज़रों के सामने थे क्योंकि सूत्र बताते है कि भाजपा जिलाध्यक्ष बाहर अधिकृत प्रत्याशी के लिए कैनवासिंग करते दिखे ?

संगठन से ऊपर मंत्री सुनिए अनोखा बयान… 👇🏻

कोरबा की गुटबाजी ने किया BJP को शर्मसार !

इस घटनाक्रम ने यह भी दिखा दिया है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के भीतर अनुशासन पूरी तरह खत्म हो चुका है। मंत्री खुद या तो पूरी तरह नाकाम हैं या फिर अपनी सत्ता को बचाने के लिए संगठन को ही कमजोर करने में लगे हैं।

BJP के भीतर और भी चेहरे जल्द होंगे बेनकाब!

अब यह सिर्फ शुरुआत है। आगे और बड़े चेहरे बेनकाब होंगे! कोरबा बीजेपी में कौन-कौन अंदरखाने गद्दारी कर रहा था, इसकी पूरी पोल जल्द खुलेगी।

BJP ने खुद कर ली अपनी बेइज्जती, कार्रवाई की धमकी बेअसर!

अब भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा कह रहे हैं कि “पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी।” लेकिन असली सवाल यह है कि जब पूरी बीजेपी ही दो फाड़ हो गई है, तो कार्रवाई किस पर होगी?

यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी!

इस शर्मनाक हार के बाद भाजपा की छवि को गहरा झटका लगा है। पार्टी के भीतर जो गुटबाजी थी, वो अब सरेआम बेनकाब हो चुकी है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस हार से उबर पाएगी या यह बगावत आगे और गहरा जाएगी!

गद्दारी करने वाले चेहरों का जल्द होगा पर्दाफाश! जुड़े रहें ‘ग्राम यात्रा न्यूज़ नेटवर्क’ के साथ!

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