कोरबा। अपनी जाति को लेकर उठे विवाद में फंसे नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति का प्रमाण आखिरकर अवैध करार कर दिया गया। न्यायालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने प्रसाद के अस्थायी जाति प्रमाण पत्र को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही खुद को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के होने का उनका दावा भी फर्जी साबित हो गया है। इस मसले पर पटाक्षेप करते हुए कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि राजकिशोर प्रसाद द्वारा किसी भी प्रकार के हित लाभ के लिए इस प्रमाण पत्र का उपयोग करने के लिए तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील किया गया है।
महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति को लेकर सवाल खडा करते हुए ओबीसी के दावे पर आधारित उनके विवादित जाति प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच कर ली गई है। कार्यालय जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति, जिला कोरबा ने वर्ष 2020-21 के कार्यवाही विवरण प्रकरण पर 6 मार्च 2024 को आदेश पारित किया। इस मामले को प्रमुखता उठाते हुए शिकायतकर्ता और वार्ड 13 की पार्षद सुश्री ऋतु चौरसिया ने वार्ड 14 के पार्षद और वर्तमान महापौर राजकिशोर प्रसाद पिता स्व. रामस्वरूप प्रसाद, निवासी सुमंगलम प्लाट नंबर 118, टी.पी. नगर की जाति को चैलेंज किया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया है 6 मार्च को पारित आदेश में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम, 2013 एवं यथा संशोधित अधिसूचना 24 सितंबर 2020 में निहित प्रावधान अनुसार राजकिशोर प्रसाद को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोरबा के अनुमोदन पर तहसीलदार कोरबा द्वारा 5 दिसंबर 2019 को जारी अस्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र प्रथम दृष्टया संदेहास्पद एवं कपटपूर्वक प्राप्त करना पाया गया है। इसके कारण राजकिशोर प्रसाद के अस्थायी जाति प्रमाण पत्र को उनके अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अंतिम जांच होने तक निलंबित किया गया है। इस प्रमाण पत्र का राजकिशोर प्रसाद द्वारा किसी भी प्रकार के हित लाभ के लिए उपयोग नहीं किया जा सकेगा। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोरबा इस संबंध में आदेश जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *