बिलासपुर, 12 जून – बिलासपुर में कोचिंग कर रहे इस साहू की नृशंस हत्या के मामले में 3 आरोपी गिरफ्तार हो चुके है जबकि परिजनों का आरोप है कि इस मामले में अन्य कई आरोपी हो सकते है जो अब भी फरार है। मसलन अब तक जिस ऑटो में मृतक को ले जाया गया है वो ऑटो समेत चालक पुलिस पहुंच से दूर है, ढाबा संचालक सहित चौकीदार की भूमिका स्पष्ट नहीं है वहीं इस घटना में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है कल तक जो सुनील साहू मुख्य आरोपी राहुल नामदेव के हर गुनाह में भागीदार रहा है वो आज मृतक के परिवार को इंसाफ दिलाने सड़क पर आवाज़ उठा रहा है ! चक्रभांठा और हिर्री थाने के एफआईआर में दर्ज मामले इन दोनों की दोस्ती की खुद गवाही देते है। ऐसे में आंदोलन की राह कहीं पुलिस की दिशा को भटकाने का एक माध्यम तो नहीं है क्योंकि अमूमन मारपीट में दोस्त ही साथ दिया करते है। बिना जांच किसी निर्दोष पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए लेकिन दबाव में कोई दोषी बचना नहीं चाहिए। ऐसे में जब पुलिस के पास जांच के कइयों तरीके मौजूद है तो पुलिस क्यों नहीं उन लोगो से पूछताछ करती है जो हर रोज राहुल के साथ उठा बैठा करते थे। ढाबा के चौकीदार ने क्यों नहीं बेरहमी के साथ मारपीट कर रहे युवकों को रोकने की कोशिश की या फिर आरोपियों का इलाके में खौफ उनको ऐसा करने की इजाजत नहीं दिया। ऐसे जख्मी युवक को ले जाने वाला ऑटो चालक यकीनन ही कोई परिचित का हो सकता है तो फिर सीसीटीवी कैमरे या पूछताछ में अब तक ऑटो की पहचान क्यों नहीं हो सकी है। पुलिस कार्रवाई के दौरान भी सुनील साहू को थाने में आरोपी राहुल नामदेव के परिजनों के साथ देखा गया था लेकिन सुनील अब समाज के लोगो के साथ खड़ा नज़र आ रहा। पुलिस को सुनील की पूरे मामले की भूमिका की जांच करनी चाहिए क्योंकि इससे पहले सुनील कई बार मारपीट के मामलों में शामिल होने के आरोप लगते रहे है। पुलिस की जांच में ये बात आई चाहिए कि आखिर ये लोग कब कब सम्पर्क में रहे वारदात के दिन उस इलाके में किसकी मौजूदगी रही। ऐसे कइयो सवाल है जो मृतक के परिजनों सहित शहरवासियों के मन में कौंध रहा है। पूरे मामले में राजनीतिक दबाव से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इधर पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने पूरे मामले में निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया है।

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