रागी में उच्च पोषक तत्वों की मौजूदगी कुपोषण से लड़ाई में कारगर
कोरबा/शासन के द्वारा जिले को मिलेट मिशन योजनांतर्गत 600 हे. का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए निःशुल्क बीज वितरण एवं अन्य आदान सामग्री का वितरण किया गया है। जिले में रागी की बोवाई प्रारंभ हो गई है। रागी की खेती को जिले में सफल बनाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी ने कमर कस ली है। विदित हो कि इस वर्ष को पूरे विश्व में लघु धान्य (मिलेट) वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। रागी में उच्च गुणवत्ता पोषक तत्व मौजूद होने की दृष्टि से इसका उपयोग कुपोषण हेतु व्रत उपवास में आहार कैल्शियम की उपलब्धता, कोलेस्ट्रॉल को दूर करने में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाने एवं मल्टीग्रेन आटा में उपयोग होता है। रबी फसल में धान फसल की तुलना में कम पानी एवं कम खर्च में होने के कारण कृषक इस फसल को लगाने हेतु प्रोत्साहित हो रहे है। रागी फसल की खरीदी बीज निगम द्वारा किये जाने पर कृषकों को अधिक लाभ मिलेगा। साथ ही वन विभाग एवं अन्य एजेसिंयों द्वारा समर्थन मूल्य में क्रय किया जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में कोरबा जिले को 600 हेक्टेयर में रागी फसल लगाने का लक्ष्य शासन से प्राप्त हुआ है। जिसकी पूर्ति हेतु कृषि विभाग के अधिकारियों में गॉव-गॉव जा कर रागी फसल के कृषि कार्यशाला की तकनीकी जानकारी एवं इसकी उच्च गुणवत्ता पोषक तत्व के बारे में जानकारी देकर कृषकों को उनके सिंचित क्षेत्र में फसल लगाने प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
जिले के उप संचालक कृषि श्री अजय कुमार अनंत ने बताया कि जिले में मिलेट मिशन योजनांतर्गत रागी के बीजों को निःशुल्क किसानों को वितरण किया गया है। रागी फसल हेतु सिंचित जिलों के साथ गौठानो गॉवों के आसपास स्थित परव, नाला के किनारे को प्राथमिकता को लेकर बोवाई हेतु कार्यवाही किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग के द्वारा किसानों को रागी की खेती के लिए आवश्यक आदान सामग्री के साथ कृषि कार्यों हेतु तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा हैै।
कृषि विभाग ने कृषकों से अपील की है कि ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में अधिक से अधिक रागी फसल लेवें। इसके अलावा सिंचित नाली नालों में बंधान कर पानी को रोका कर रागी फसल को लेवें।

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