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संभावित पार्षद प्रत्याशी सूची विवाद: पूरे वार्ड में भाजपा को नहीं मिला कोई योग्य चेहरा? बाहरी प्रत्याशी पर लगाया जा रहा दांव, बड़ा सवाल – पैराशूट कैंडिडेट कितना खरा उतरेंगे अपेक्षाओं पर…

संभावित पार्षद प्रत्याशी सूची विवाद: पूरे वार्ड में भाजपा को नहीं मिला कोई योग्य चेहरा?

बाहरी प्रत्याशी पर लगाया जा रहा दांव, बड़ा सवाल – पैराशूट कैंडिडेट कितना खरा उतरेंगे अपेक्षाओं पर…

कोरबा नगर निगम के वार्ड 26 में भाजपा ने प्रत्याशी चयन के नाम पर जो किया है, उसे राजनीति में ‘आत्मघाती कदम’ कहा जा सकता है।

पार्टी ने एक बार फिर अपनी पुरानी गुटबाज़ी और आंतरिक राजनीति के आगे जनता की आवाज़ को अनसुना कर दिया है। नतीजा—क्षेत्र के मतदाताओं में गहरा असंतोष और पार्टी के प्रति बढ़ती नाराज़गी। पैराशूट कैंडिडेट का हश्र पार्टी लोकसभा चुनाव में देख चुकी है जब एमपी-सीजी की 39 सीटें भाजपा जीत गई और एक सीट सिर्फ बाहरी प्रत्याशी के कारण हार गई।

वार्डवासियों का गुस्सा: “थोपा गया बाहरी और अयोग्य उम्मीदवार”

वार्ड 26 के मतदाता खुलकर भाजपा के फैसले का विरोध कर रहे हैं। पार्टी ने एक ऐसे बाहरी व्यक्ति को टिकट दिया है, जिसका इस क्षेत्र से कोई नाता नहीं। “न घर, न मकान, न कभी जनता के लिए आवाज़ उठाई।” ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाना साफ दर्शाता है कि भाजपा ने वार्ड के विकास और जनता की भावनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि “यह भाजपा द्वारा हमारे साथ धोखा है।”

भाजपा: जीतने का नहीं, गुटबाज़ी का मंच

पिछले चुनावों में भाजपा को वार्ड 26 (पुराना क्रमांक 23) में करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी तीसरे स्थान पर रही और जमानत जब्त हो गई। लेकिन क्या पार्टी ने सबक लिया? बिलकुल नहीं। दो बार से इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने बाजी मार ली, कांग्रेस दोनों बार दूसरे स्थान पर रही। इस बार फिर से टिकट वितरण में गुटबाज़ी और संबंधों की राजनीति को प्राथमिकता दी गई।

पार्टी के अंदर के गुट अब खुलकर दिखने लगे हैं। हर गुट अपने चेहतों को ऊपर लाने की कोशिश में जुटा है, भले ही वह जनता के लिए कितना भी अनजान और अयोग्य हो। यही गुटबाज़ी भाजपा को महापौर की कुर्सी से पहले भी दूर कर चुकी है, और इस बार सभापति पद भी हाथ से निकलता दिख रहा है।

“10 साल से हार, फिर भी वही गलती!”

वार्ड 26 में भाजपा का प्रदर्शन पिछले एक दशक से दयनीय रहा है। हर बार पार्टी हारती है, लेकिन हर बार वही गलतियां दोहराई जाती हैं। स्थानीय मतदाता कहते हैं, “यहां भाजपा का प्रदर्शन इतना खराब है कि उनके प्रत्याशियों को गिनने लायक वोट भी नहीं मिलते।” फिर भी पार्टी गुटबाज़ी में मस्त है और जनता के मुद्दों से आंख मूंदे बैठी है।

भविष्य की तस्वीर: ‘भाजपा की कब्र खुद रही है’

वार्ड 26 में भाजपा ने जो किया है, वह साफ दिखा रहा है कि पार्टी आत्मघात की ओर बढ़ रही है। योग्य नेताओं की अनदेखी, बाहरी और अयोग्य व्यक्ति को थोपना, और गुटबाज़ी को बढ़ावा देना—ये सभी पार्टी के लिए विनाश का सूत्र बनते जा रहे हैं। जनता का संदेश स्पष्ट है: “अगर भाजपा ने जनता के हितों को तवज्जो नहीं दी, तो वार्ड 26 ही नहीं, पूरा कोरबा भाजपा के हाथ से निकल सकता है।”

क्या भाजपा वक्त रहते संभलेगी? या फिर एक और हार के लिए तैयार है?

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