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नागा साधु को हर स्थिति में करना होता है इन 5 नियमों का पालन

नई  दिल्ली (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )।  महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु पहुंचे हैं। इनको देखकर लोग आश्चर्यचकित भी होते हैं, लेकिन इनके जैसा जीवन जीना किसी भी आम शख्स की बस में नहीं है। ये जीवन भर कठोर नियमों का पालन करते हैं और अगर किसी भी नियम में चुक इनसे होती है तो गुरु की कृपा से ये वंचित रह जाते हैं। गुरु की कृपा प्राप्त करके ही एक नागा साधु संन्यास के उच्च शिखर पर पहुंचता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि नागा साधुओं को किन नियमों का पालन करना होता है।

आचार और व्यवहार के नियम

एक नागा साधु को जीवन भर व्यवहार से जुड़े नियमों का पालन करना होता है। हिंसा का मार्ग केवल तब ही अपना होता है जब धर्म संकट में हो।  चोरी, झूठ और धन-संपत्ति के बारे में सोचना भी एक नागा साधु के लिए वर्जित होता है। सभी लोगों को समान भाव से देखना नागा साधु के लिए प्रारंभिक शर्त होती है।

त्याग और संयम
नागा साधुओं को घर-परिवार ही नहीं अपने वस्त्र और शरीर का त्याग करना भी सिखाया जाता है। शरीर के प्रति किसी भी प्रकार का मोह नागा साधु के मन में नहीं होना चाहिए। आजीवन कड़े ब्रह्मचर्य का पालन भी एक नागा साधु को करना होता है। भोजन भी दिन में केवल एक बार ही नागा साधु कर सकता है।

ध्यान और साधना से जुड़े नियम
नागा साधु का प्रतिदिन का नियम निश्चित है कि उसे घंटों तक योग और साधना करनी है। कठोर तपस्या नागा साधु के जीवन का एक अभिन्न अंग है। साथ ही साधना के दौरान कई दिनों तक उपवास भी एक नागा साधु को करना पड़ता है।

सहनशीलता
मौसम चाहे जैसा भी हो एक नागा साधु को हर स्थिति में खुद को ढालना होता है। हर परिस्थिति को सहन करने की क्षमता एक नागा साधु के लिए अनिवार्य शर्तों में से एक है। यानि शरीर को कष्ट सहने के लिए नागा साधु को हमेशा तैयार रहना होता है। योग ध्यान से नागा साधु को शरीर को इस तरह ढालना होता है कि वो हर स्थिति में जी सके।

अन्य साधुओं से मेलजोल
यह बात हम सभी जानते हैं कि नागा साधु एक अखाड़े से जुड़े होते हैं। अखाड़े का यह नियम होता है कि कोई भी नागा साधु किसी अन्य नागा साधु के प्रति बैर न पाले। सहयोग और सम्मान की परंपरा नागा साधुओं का नियम होता है। साथ में धर्म की रक्षा करने के लिए हर नागा साधु को दीक्षा दी जाती है।

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