कोरबा / शारदा पाल
हरदी बाजार – वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य का जन्म हुआ तब रायपुर को राजधानी बिलासपुर को न्याय धानी और कोरबा को ऊर्जा धानी का दर्जा प्राप्त हुआ तब से लेकर वर्ष 2017 तक शराब दुकान ठेकेदार द्वारा संचालित किया जाता था लेकिन 2018 से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मदिरा दुकान संचालित हो रहा है एक तरफ शासन कोचिया बंदी कर अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाने भरसक प्रयास कर रही है लेकिन शासन के कुछ नुमाइंदे ही राज्य शासन के मंसूबे पर खंजर घोपने का काम कर रहे हैं ऐसा ही कुछ नजारा हरदी बाजार में देखने को मिलता है पुलिस स्टेशन से महज 2 सौ मीटर की दूरी पर संचालित ढाबों में पुलिस के अधिकारियों से सांठगांठ कर खुलेआम शराब परोसी जा रही है लगता है मानो इन रसूखदारों से पुलिस भी खौफ खाती है या कहें रिश्वत खाती है यहां यह बताना लाजमी होगा कि यहां पर शैक्षणिक संस्थान संचालित हैं फिर भी पुलिस की यह कार्य शैली कई सवालों को जन्म देती है बताया जाता है कि ढाबा में लगभग ₹10000 का शराब प्रतिदिन बिक्री हो रही है लोगों का कहना है की अवैध शराब बिक्री होने से यहां का माहौल खराब हो रहा है प्रतिदिन शराबियों का जमावड़ा यहां जमा रहता है जिससे आमजन बहुत परेशान नजर आ रहे हैं
हरदी बाजार के पुलिस चौकी के सामने बस स्टैंड के समीप स्थापित महेश ढाबा एवं बलौदा बाजार चौक के पास स्थापित गुड्डा ढाबा में दिन एवं रात में रहता है शराबियों का अड्डा, जबकि पुलिस चौकी समीप होने का भी डर नहीं रहता शराबियों को। परंतु सोचने वाला विषय यह है कि क्या पुलिस इन लोगों पर कार्यवाही नहीं कर सकती लेकिन ऐसा नहीं है। शायद पुलिस के ही संलिप्तता में यह शराब ढाबों में बेचा जाता हो। क्या चौकी प्रभारी का इस ओर ध्यान नहीं जाता । हो सकता इन्ही की शय में यह अवैध कारोबार चल रहा हो। मगर हरदी बाजार में यह मामला नया नही है यहां पर तो मेडिकल स्टोर्स में दिन दहाड़े प्रतिबंधित नशीली दवाइयों को बेचा जाता है लेकिन किसी प्रकार को कोई भय नहीं है इन लोगों को…
तब तो ढाबों में शराब बेचना नई बात नहीं हो सकती। क्यों कि यहां पर तो यह मुहावरा सहीं साबित होता है *”जब सैयां भये कोतवाल, तो डर काहे का”