रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : आदिशक्ति मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है.
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.
मां की पूजा का महत्व
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. उनकी पूजा करने से सुख, ऐश्वर्य और मोक्ष प्राप्त होता है. इसके अलावा हर तरह की इच्छाएं भी पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. ये देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए अपने भक्तों पर सदा आशीर्वाद बनाए रखती हैं.
स्कंदमाता को इन चीजों से लगाएं भोग
मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद भोग स्वरूप चढ़ाई जाने वाली सामग्री बहुत पसंद है. इसलिए माता को नारियल, इससे बनी मिठाईयां, खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.
मां स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
सच्चे भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से भी पुकारा जाता है.
इस नवरात्र इस राशि वाले करें ये काम
- मेष, वृष, मिथुन, और कर्क राशि वाले लोग माता के दर्शन का लाभ लें, तो पुण्य लाभ मिलेगा. सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक राशि वालों के लिए नवरात्र सामान्य रहेगा, इन्हें भी मात्र दर्शन लाभ लेने से पुण्य मिलेगा.
- विशेषकर मकर राशि और कुंभ राशि वालों के लिए जरूरी है कि घर में मूर्ति स्थापना करें, घट स्थापना करें और 9 दिन तक उपवास करें. नवमी या अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराएं तो विशेष फल की प्राप्ति होगी. मकर और कुंभ राशि वाले जातकों में शनि की साढ़ेसाती भी चल रही है. मां की आराधना और पूजन करने से शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलेगी.
- मीन राशि वालों के लिए नवरात्र शुभ रहेगा, वो दर्शन लाभ लें या पूजन-अर्चन कर प्रसाद चढ़ाएं, इतने में ही उन्हें पुण्य लाभ मिल जाएगा. किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी.