-बच्चे को जन्म देना है या नहीं देना यह माँ पर निर्भर करती हैं-डॉ नायक
-राज्य महिला आयोग ने जिला पंचायत सभा कक्ष में की जन सुनवाई
कोरबा /राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज जिला पंचायत सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने अपने कार्यकाल की आज 154वीं जनसुनवाई की। वहीं कोरबा जिले में आज यह चौथी सुनवाई थी। जिसमें 31 प्रकरण रखे गये। सुनवाई के बाद इनमे से 12 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया। जबकि शेष प्रकरणों का आगामी समय मे सुनवाई किया जाएगा। महिला आयोग की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध छेड़छाड़ एवं अपमानित करने के साथ ही उसका वेतन वृद्धि रोकने संबंधी शिकायत की। जिस पर महिला आयोग ने आवेदिका को समझाइश दिया कि वेतन वृद्धि एक शासकीय प्रक्रिया है, इसके निराकरण के लिए विभागीय स्तर पर अपना आवेदन प्रस्तुत करें तथा आयोग में किए गए शिकायत को केवल छेड़छाड़ एवं दुर्व्यवहार तक सीमित रखे, इस पर आवेदिका सहमत हुई। उसे बताया गया कि आवेदिका अपने प्रकरण के समर्थन में शपथपत्र आयोग में प्रस्तुत कर सकती है जिसके आधार पर प्रकरण रायपुर में सुनवाई किया जा सकेगा। वहीं अनावेदक अपना बयान और दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते है। आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय को दोनों पक्ष अपना दस्तावेज जमा करेंगे, इस प्रकरण को रायपुर में सुनवाई किया जाएगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं उनके पति उपस्थित हुए। इस प्रकरण में दूसरी महिला को नारी निकेतन भेजा गया था, जिसमें दूसरी महिला का भाई शपथ पत्र देकर अपनी बहन को लेकर गया था, लेकिन फिर से दूसरी महिला आवेदिका के पति के पास आ गई है। ऐसी जानकारी आवेदिका ने दिया है। इस स्तर पर रामपुर चौकी के प्रधान आरक्षक एवं आरक्षक को दूसरी महिला की उपस्थिति के लिए तत्काल आयोग द्वारा निर्देशित किया गया।जिस पर पुलिस आरक्षक द्वारा दूसरी महिला को तत्काल उपस्थिति कराया गया। आयोग की ओर से भाई को समझाइश दिया गया कि आवेदिका के पति के गांव कभी नहीं जाने के निर्देश दिए गए साथ ही आज सुनवाई के दौरान आवेदिका के पति ने आवेदिका पत्नी को आयोग के समक्ष चांदी के गहने लगभग 40 तोला, सोना 7-8 ग्राम का जेवर के साथ राशन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक पासबुक एवं वोटर आईडी सौंपा। इस स्तर पर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आयोग के समक्ष हस्तलिखित अतिरिक्त आवेदन प्रस्तुत कर निवेदन किया कि वह तीन माह के गर्भ से और अब गर्भपात कराना चाहती है। क्योंकि पांच माह पहले आयोग के समझाइश पर उनका पति घर ले गया था और उसके बाद पुनः अन्य महिला से संबंध रखा और आवेदिका से लड़ाई झगड़ा कर रहा है। ऐसी स्थिति में आवेदिका होने वाले बच्चे के पालन पोषण नहीं कर सकती इसलिए आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर अपना गर्भपात कराने की सहमति चाही गई। इस पर आवेदिका को समझाइश दिया गया कि इस संबंध में वह स्वयं के विवेक से निर्णय ले सकती है, जिसके लिए वह स्वतंत्र है। साथ ही आवेदिका चाहे तो सखी सेंटर के जिला संरक्षण अधिकारी नवा बिहान की सहयोग लें साथ ही आयोग द्वारा जिला संरक्षण अधिकारी नवा बिहान को निर्देशित दिया गया कि इस प्रकरण पर अनावेदक को बुलाकर काउंसलिंग कर आयोग की सदस्य अर्चना उपाध्याय को रिपोर्ट प्रेषित करें। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने अपना दस्तावेज पेश किया जिसमें आवेदिका के खिलाफ दो अपराधिक प्रकरण दर्ज है। प्रकरण में चालान भी प्रस्तुत हो चुका। आवेदिका अनावेदक के विरूद्ध उच्च न्यायालय में याचिका भी पेश कर चुकी है। आवेदिका ने बताया कि उसके खिलाफ दो अपराधिक मामले दर्ज है और उसने केवल अनावेदक के विरूद्ध मामला दर्ज किया था। परन्तु उसके वकील ने अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया है इसकी जानकारी नहीं है। इस स्तर पर यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण आयोग से नस्तीबद्ध किया गया है।