हिमांशु डिक्सेना कोरबा(कोरबी):- पंचायतों का विकास ग्रामीणों के हाथ की कल्पना कर निर्मित किये गए पंचायतीराज अब जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के लिए जेबें भरने का जरिया बन गया है।जहाँ यह भी नही देखा जाता कि कौन सी विकास योजनाएं ग्रामीणों के लिए सुविधापूर्ण तथा लाभदायक होगी।कुछ इसी प्रकार का मामला सामने आया है जिसमे बिना औचित्य वाले समतल स्थान पर पुलिया का निर्माण कराकर शासन की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है और संबंधित अधिकारी-कर्मचारी राशि दुरुपयोग रोकने के बजाए मौन धारण किये बैठे है।

मामला है जिले के पोड़ी उपरोड़ा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कोरबी का।जहाँ 6 लाख की स्वीकृति से पुलिया का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।लेकिन जिस स्थान पर पुलिया निर्माण का कोई औचित्य ही नही है।उस समतल मार्ग को खोदकर लाखों का पुलिया निर्माण की आड़ में शासकीय धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।जबकि वह मार्ग समतल व बारहमासी आवागमन के लिए सुगम रहता है।किन्तु निजी हित साधने के चक्कर मे अधिकारी के मौन सहमति पर इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।नियमतः पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्य पर स्थल निरीक्षण व मूल्यांकन का जिम्मा उप अभियंता की होती है।जबकि जनपद के मुख्यकार्यपालन अधिकारी एवं आरईएस के एसडीओ के देखरेख में निर्माण कार्य पूर्ण होने उपरांत सीसी जारी किया जाना होता है।किन्तु ऐसा कुछ भी नही हो रहा है।और नियम विरुद्ध मनमाने कार्य कराया जा रहा है।इस संबंध पर ग्रामीण कार्तिकराम का कहना है कि सरपंच-सचिव की मनमानी चरम पर है।जहाँ पुलिया की आवश्यकता है उन नालो में आजतक महज ढ़ोल पाईप भी नही लगाया गया।और जहाँ ग्रामीणों को कोई लाभ नही है वहाँ लाखों का पुलिया बनवाया जा रहा है।इसी प्रकार अनेकों वार्ड जहाँ सीसी रोड की नितांत आवश्यकता है।उन वार्डों में बारिश के दिनों पर कीचड़ में चलना पड़ता है।सरपंच-सचिव द्वारा इस दिशा पर आजतक ध्यान नही दिया गया।और जहां एक प्रतिशत लाभ नही वहाँ पुलिया निर्माण कराया जा रहा।इसी प्रकार संजय कुमार का कहना है कि सरपंच-सचिव ग्रामीणों की नही सुनते और अपनी मनमानी करते रहते है।जो कार्य जनहितैषी होते है वह नही कराया जाता।तथा जो कार्य जेबें भरने लायक हो उसे प्राथमिकता दी जाती है।जिसके कारण ग्रामीण इनके रवैये से त्रस्त है।

पंचायतीराज गाँवों में लागू करते वक्त तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार की सोच थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों से गाँव के श्रमिक वर्ग के साथ-साथ ग्रामवासियों को फायदा हो।मगर बीते कुछ वर्षों में पंचायती राज में भ्रष्टाचार इतना बढ़ा है कि ग्रामीणों के लाभ हेतु आने वाली विकास राशि पर सरपंच-सचिव के साथ-साथ संबंधित अधिकारी-कर्मचारी मिलकर ऐश करते है।इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि गत पंचायत चुनाव में चुने गए कई जनप्रतिनिधि महज एक वर्ष में ही आलीशान बंगले व चारपहिया,छःपहिया वाहन के मालिक बन गए है।और उनका स्तर सुधर गया लेकिन पंचायत का स्तर अब भी नही सुधर पाया है।जिससे लगता है कि पंचायती राज का मूल मुद्दा अब ग्रामीणों के लिए नही रह गया।तथा कुछ खास लोगों के लिए जेबें भरने का कारोबार बन गया है।संबंधित अधिकारी भी इससे अनजान नही है।मगर बंदरबांट के हिस्से में शामिल ऐसे अधिकारी मूक बने रहकर तमाशबीन बन जाते है।मामले पर प्रतिक्रिया जानने संबंधित उप अभियंता अवधेश कुमार से उनके मोबाइल क्रमांक 7049849290 व 6261657912 पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया।लेकिन संपर्क नही हो पाया।जिसके कारण उनकी प्रतिक्रिया नही मिल पायी।फिलहाल कराए जा रहे उक्त कार्य की आवेदनमय शिकायत कोरबी निवासी ग्रामीण राहुल कुमार रात्रे द्वारा 18 जुलाई 2019 को जिला पंचायत सीईओ से की गई है।देखना है मामले पर किस प्रकार की कार्यवाही की जाती है…?

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