कोरबा। मानसून की शुरूआत होती ही ऊर्जाधानी में भी बादल झूमकर बरसे। लगातार बारिश के कारण जहां निचले इलाकों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हुई वहीं कच्चे-पक्के मकानों की छतें भी टपकनी शुरू हो गई है।
बारिश के कारण छतों में जमा पानी मकानों व भवनों के भीतर छलनी की तरह टपक कर जहां सामान्य जनजीवन को प्रभावित करने लगा हैं वहीं विभिन्न उपक्रमों के आवासीय कालोनियों के जर्जर मकानों के रहवासियों पर भी खतरा मंडराने लगा है। एसईसीएल, सीएसईबी, बालको के अनेक आवास जर्जर हो चुके हैं। एसईसीएल की कालोनियों के मकानों में तो छतों का प्लास्टर गिरने की घटनाएं आम बात है। हैवी ब्लास्टिंग का भी लोग दंश झेल रहे हैं और ऐसे में बारिश के कारण समस्या बढ़ी है। इस तरह की समस्या से पुराने जर्जर हो चुके स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र भी जूझ रहे हैं। कुछ साल पहले निर्मित भवनों में प्लास्टर गिरने की तो नहीं लेकिन पानी टपकने की समस्या बरकरार है। ऐसे में संचालन का प्रभावित होना लाजमी है। जिले के प्रारंभिक से अंतिम सीमा तक जगह-जगह फोरलेन और हाइवे सडक़ का निर्माण हो रहा है। अभी कई क्षेत्रों की सडक़ निर्माणाधीन होने के कारण ये मिट्टीकृत हैं और इनमें बारिश का पानी की वजह से कीचड़ निर्मित हो गया है। खासकर कुसमुंडा और चाम्पा मार्ग की निर्माणाधीन सडक़ पर ऐसे हालात निर्मित हुए हैं। कुसमुंडा मार्ग में तो महाजाम की स्थिति निर्मित हो रही है। सूखे मौसम में तो यहां जाम लगता ही रहा, अब अधूरी सडक़ पर बारिश का पानी जम जाने से छोटे और मंझले स्तर के वाहनों के फंसने तथा भारी वाहनों के कारण जाम लग रहा है।