कोरबा। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने पुराने लंबित रोजगार के मामले को लेकर 13 फरवरी को एसईसीएल दीपका मुख्य महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा था। वर्ष 1986 में हुए भूमि अर्जन के एवज में दिए जाने वाले रोजगार के तहत बचे रोजगार की मांग करते हुए हर सप्ताह कोयला खदान बन्द करने की चेतावनी दी थी।  17 फरवरी को घोषित दीपका के मुख्य गेट में ताला जड़कर धरना प्रदर्शन प्रबंधन के साथ सकारात्मक वार्ता के बाद स्थगित कर दिया गया था। सोमवार तक पुराने मामले का निराकरण नहीं होने पर 24 फरवरी से काम बंद चेतावनी दी गई थी। इसके तहत आज सुबह 9 बजे से दीपका के श्रमिक चौक से रैली करते हुए खदान में कोल परिवहन में लगे गाड़ियों को रोक दिया गया। अमगांव और मलगाँव फेस के ओबी कार्य में लगी वाहनों को रोका गया। इस दौरान आंदोलन को रोकने सीआईएसएफ और पुलिस के जवानों ने प्रयास किया लेकिन भू-विस्थापित खदान में घुस गए। मौके पर दीपका प्रबंधन के अधिकारी भी पहुंचे लेकिन पुराने रोजगार से जुड़े किसान नहीं माने और लगभग 3 घंटे तक कार्य रूकवाए रखा। अंतत: दीपका के क्षेत्रीय सुरक्षा व कार्मिक अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को प्रबंधन द्वारा रोजगार के पुराने मामलों की सूची के आधार पर किये गए कार्यवाहियों की जानकारी दी। जीएम माइनिंग बोबडे, मधुप और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यालय स्तर पर सीएमडी डॉ. प्रेम सागर मिश्रा द्वारा निर्देश के आधार पर रोजगार के सभी तरह के मामलों को सूचीबद्ध कर भेजने, खास तौर पर अर्जन के बाद जन्म, अलग-अलग व्यक्तियों के खाते का संयोजन से वंचित रोजगार के मामलों में जिला प्रशासन के सहयोग से कार्यवाही को आगे बढ़ाने, के लिये 1 सप्ताह के समय सीमा में पुराने रोजगार के मामले को निराकरण करने का समय देते हुये आंदोलन को स्थगित किया गया। समिति के केंद्रीय अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा है कि संगठन के प्रयासों से पुराने रोजगार के साथ-साथ मुआवजा राशि में बढ़ोत्तरी कराने में कामयाबी मिली है।

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